कमज़ोर उत्पादन व घटते स्टॉक से देसी चना में तेजी की उम्मीद

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मुकेश भाटिया
कोटा।
देश के लगभग चना उत्पादक क्षेत्रों में फरवरी माह के दौरान तापमान जिस तरह बढ़ा, और जानकार आगे मार्च माह के दौरान भी दिन-प्रतिदिन भी गर्मी बढ़ने के आसार बता रहे हैं, इन परिस्थितियों को देखकर उत्पादन 65/70 लाख मैट्रिक टन रह जाने की संभावना बन रही, और इन परस्थितियों में चने की कीमतें, उत्तर भारत की मंडियों में हने की नई फ़सल का दबाव बनने से पूर्व अभी और तेज रहने के आसार लग रहे हैं। हालांकि, बाज़ार के आगे के रूझान अभी कारोबारियों को स्पष्ट समझ में नही आ रहे है।

इस वर्ष देश में देसी चने की बिजाई सभी तरफ अच्छी रहने के बावजूद मौसम का तापमान फरवरी माह के दौरान सामान्य की तुलना में 7/9 डिग्री सेंटीग्रेड अधिक हो जाने से राजस्थान में आने वाली चने की फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका बढ़ गयी है। मध्यप्रदेश में भी नई फसल में दाने छोटे हो जाने की खबर मिल रही है। दूसरी ओर पुराना स्टाक प्राइवेट के बड़ी कंपनियों का भी चौतरफा कटने की ख़बर है, इन परिस्थितियों को देखते हुए कारोबारी चने के नए उत्पादन अनुमान 65/70 लाख मैट्रिक टन के करीब रहने की संभावना व्यक्त कर रहे है।

बीते दिनों जारी तथाकथित सरकारी आंकड़े कुछ भी कहे, लेकिन इससे पूर्व व्यापारिक अनुमान 75-80 लाख मैट्रिक टन के बीच ही लगाया गया था। बाज़ार के जानकार विशेषज्ञ मानते हैं कि नेफेड के पास अभी भी पुराना माल की कुछ न कुछ मात्रा स्टॉक में है, लेकिन यह भी नहीं भूलना चाहिए कि सरकार ने इस रबी सीजन के लिये देसी चने का समर्थन मूल्य 5100 रुपए प्रति क्विंटल घोषित कर रखा है जिसको देखते हुए अब मध्य प्रदेश एवं राजस्थान के चना उत्पादक किसान नई फसल को अब जल्दी बिक्री नहीं करना चाह रहे हैं।

जानकार कारोबारी यह संभावना व्यक्त कर रहे हैं कि गत वर्ष तुलना में इस बार सरकार देसी चने की अधिक खरीद करने की तैयारी कर रही है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए कारोबारी व स्टाकिस्ट अब पुराने माल की बिकवाली करने से भी पीछे हटने लगे हैं। उधर वायदा लगातार कुछ दिनों से बढ़कर बंद हो रहा है। बीते कल भी तेजी का सर्किट लगाकर मार्च-अप्रैल माह के अनुबंध बन्द होने के बाद आज भी वायदा फ़िलहाल तेज़ ही बना हुआ है ।

महाराष्ट्र व कर्नाटक की चना फसल में उतारा कमज़ोर रहने की शुरुआती खबरें अब बड़े नुक्सान में बदलती दिखाई दे रही है ऐसा इन राज्यों की मंडियों की मौजूदा कमज़ोर आवक को देखकर लग रहा है। फरवरी माह के मौसम के बाद मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र में बोई गई फसल में भी पोल निकलने की आशंका भी अब धीरे-धीरे मज़बूत होने लगी है, जो इसका प्रभाव मध्यप्रदेश की मंडियों में धीरे- धीरे प्रारम्भ हो रही चने की नई फ़सल की आवक पर साफ़ साफ़ दिख रहा है।

इन सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कारोबारी वर्ग आगे आने वाली जरूरतों के अनुसार नये चने की कीमतों के 6000/6500 रुपए प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुँचने की धारणा में आ गए हैं। हालाँकि, कीमतों के यह स्तर नई फसल की आवक की समाप्ति के बाद ही बनने की उम्मीद नज़र आ रही है।

उससे पूर्व एक बार अभी वर्तमान भाव के चने में थोड़ी और तेजी दिखाई दे रही है। आज राजस्थानी चना 5000/5025 से बढ़कर 5150/5175 रुपए प्रति क्विंटल लॉरेंस रोड पर खड़ी मोटर में बिक गया है । दाल के भाव भी उसी अनुपात में तेज बोलने लगे तथा इस भाव में अभी और तेजी के आसार बन गए हैं।