कोष प्रबंधकों का कहना है कि इससे अंशधारकों का भरोसा फिर कायम किया जा सकेगा और कंपनी के संकट को हल किया जा सकेगा।
नई दिल्ली। नंदन नीलेकणि को गुरुवार को इंफोसिस का चेयरमैन नियुक्त कर दिया गया। विशाल सिक्का के इस पद को छोड़ने के कुछ दिनों बाद ही नीलेकणि की इंफोसिस में वापसी हो गई।
इंफोसिस के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक में इस नियुक्ति का फैसला किया गया। नीलेकणि की नियुक्ति तत्काल प्रभाव से गैर कार्यकारी, गैर स्वतंत्र निदेशक और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के चेयरमैन के रूप में की गई है।
कुछ अडवाइजरी फर्में, पूर्व सीईओ और को-फाउंडर नंदन निलेकणी से गैर-कार्यकारी अध्यक्ष की भूमिका में लौटकर सारे पचड़े को खत्म करने की सलाह दे चुके थे।
निलेकणी ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) जॉइन करने के लिए जून 2009 में इस्तीफा देने के बाद से इन्फोसिस से लगातार दूरी बनाए रखी।
माना जाता है कि जब मूर्ति साल 2013 में दोबारा कंपनी में लौटे तो उन्होंने निलेकणी को भी ऐसा करने के लिए कहा, लेकिन वह नहीं माने।
इन्फोसिस के संस्थागत निवेशकों का प्रतिनिधत्व करने वाले करीब 12 कोष प्रबंधकों ने नंदन नीलेकणि को इन्फोसिस के निदेशक मंडल में वापस लाने का सुझाव दिया था।
कोष प्रबंधकों का कहना है कि इससे अंशधारकों का भरोसा फिर कायम किया जा सकेगा और कंपनी के संकट को हल किया जा सकेगा।
यह नीलेकणि की वापसी की वकालत करने का दूसरा मौका है। इससे पहले निवेश सलाहकार कंपनी आईआईएएस ने कहा था कि नीलेकणि को कंपनी के गैर-कार्यकारी चेयरमैन के रूप में वापस लाया जाना चाहिए।
नीलेकणी मार्च, 2002 से अप्रैल, 2007 तक कंपनी के सीईओ रहे थे। गौरतलब है कि पिछले सप्ताह इन्फोसिस के पहले गैर-संस्थापक सीईओ विशाल सिक्का ने अपने पद से अचानक इस्तीफा दे दिया था।
इसके बाद लगातार दो सत्रों में कंपनी का शेयर 15 प्रतिशत टूट गया था और उसके बाजार पूंजीकरण में 34,000 करोड़ रुपये की कमी आई थी।