सरकार ने OTT कंटेंट के लिए गाइडलाइन बनाई, आर्टिस्ट तैयार नहीं

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नई दिल्ली। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने राज्यसभा में बताया कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर दिखाए जाने वाले कंटेंट को लेकर कई शिकायतें मिल रही हैं। जिसे ध्यान में रखकर गाइडलाइंस तैयार की जा चुकी हैं और जल्द ही उन्हें लागू भी किया जाएगा। लंबे समय से ओटीटी और ऑनलाइन कंटेंट को सेंसर करने की मांग चल रही है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में भी दलील दी गई है जिसमें कहा गया था कि टीवी से ज्यादा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की निगरानी जरूरी है।

सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) की सदस्य वानी त्रिपाठी टीकू और इंडस्ट्री के जाने माने एक्टर्स ने बताया कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर सेंसरशिप कितनी जरूरी है। एक तरफ वानी की माने तो इस प्लेटफार्म पर सेंसरशिप लाना बेहद जरूरी है तो वहीं इस प्लेटफार्म पर काम करने वाले एक्टर्स इसके पक्ष में नहीं हैं।

वानी बताती हैं, “डिजिटल प्लेटफार्म एक ऐसा विषय है जिस पर चर्चा होना बेहद जरूरी है। जिस कंटेंट से किसी को पीड़ा होती है या कष्ट होता है उसके बारे में गंभीर चर्चा होना बहुत जरूरी है। हमारे प्रजातंत्र का मतलब ये नहीं है कि आप किसी को अपमान करने का अधिकार रख सकते हैं। एक रेगुलेटरी कोड की काफी आवश्यकता है क्योंकि हमारे देश के अलावा विश्वभर में एक स्टैंडर्ड कोड है जिसका सही तरीके से पालन किया जाता है। भारत में किसी भी स्ट्रीमिंग कंपनी ने एक जुट होकर कोड को लेकर बातचीत नहीं की है। उन्होंने कभी अपनी तरफ से जिम्मेदारी का निर्वान भी नहीं किया है। ऐसी स्थिति में सरकार और स्ट्रीमिंग कंपनी के बीच एक बात-चीत होना बहुत जरूरी है।”

वे आगे बताती हैं, “तकरीबन 10 साल पहले जब केबल और ब्रॉडकास्ट एक्ट आया था तब चर्चा हुई थी कि टेलीविजन पर कैसे कंटेंट दिखाए जाएंगे और उन्हें किस तरह से दिखाया जाएगा। कौन और कितने लोग उस कंटेंट को देखते हैं। सारी चीजों को ध्यान में रखकर एक्ट बनाया गया था। वहीं स्ट्रीमिंग सर्विसेज ने कभी अपने सब्सक्राइबर्स के नंबर नहीं जारी किए। हमें अब तक नहीं पता कि कौन से स्ट्रीमिंग प्लेटफार्म में कितने सब्सक्राइबर्स हैं। इसमें थोड़ी ट्रांसपेरेंसी की जरूरत है। अगर आप अमेरिका में कुछ कर रहे हैं तो जरूरी नहीं है कि भारत के कल्चर में भी वो फिट बैठे। उम्मीद कर रही हूं कि जल्द से जल्द इस प्लेटफार्म के लिए गाइडलाइन जारी किए जाएंगे।”

यदि सरकार इस प्लेटफार्म पर तरक्की करने वाले रेगुलेशन लाती है तो मैं इसके पक्ष में हूं लेकिन यदि वो रिग्रेसिव रेगुलेशन लाते हैं तो मुझे लगता है कि आर्ट और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री पूरी तरह से घाटे में चली जाएगी। एक तरह की आजादी हमसे छीन ली जाएगी क्योंकि ये एक ऐसा प्लेटफार्म है जहां हम अपनी कला को दर्शा सकते हैं। मैं मानता हूं कि कुछ लोग हैं जो इस आजादी का फायदा उठाते हैं जिनके लिए ये गाइडलाइन लाना जरूरी है लेकिन सभी को तकलीफ ना हो इसका ख्याल भी रखना होगा।

दर्शक कंटेंट का चयन कर सकते हैं: अहाना कुमरा
बतौर एक्ट्रेस मुझे लगता है कि हमारे क्रिएटिव इंडस्ट्री के लिए फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन बहुत महत्वपूर्ण है। सेंसरशिप लाकर कहीं न कहीं ये आजादी हम से छीन ली जाएगी। दर्शक उस कंटेंट पर पैसा नहीं खर्च करेंगे जिसे वे नहीं देखना चाहते हैं। ये उनका पैसा है और वे उस कंटेंट का चयन कर सकते हैं जिसे वे देखना चाहती हैं और जिसे नहीं। मैं सेंशरशिप के पक्ष में बिलकुल नहीं हूं।