स्क्रैप पालिसी: बिना फिटनेस टेस्ट में पास हुए नहीं चलेंगे सड़क पर पुराने वाहन

0
712

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यूनियन बजट (Union Budget 2021) को पेश करने के दौरान ही देश में स्वैच्छिक वाहन परिमार्जन नीति (Scrappage Policy) की भी घोषणा कर दी है। वहीं केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) अगले 15 दिनों के भीतर स्क्रेपेज पॉलिसी लागू करेगी। अब देश भर में लागू की जाने वाली नई स्क्रैपिंग पॉलिसी को लेकर लोगों के जेहन में कई सवाल उठ रहे हैं। आज हम आपको इस नई नीति से जुड़ी हर जानकारी के बारे में डिटेल में बताएंगे-

क्या है नई स्क्रैपिंग पॉलिसी:
दरअसल यह एक स्वैच्छिक वाहन स्क्रैपिंग पॉलिसी है, जिसमें पुराने और अनफिट वाहनों को चरणबद्ध कर उन्हें फेज आउट किया जाएगा। पिछले साल जुलाई महीने में केंद्र ने 15 वर्ष से अधिक पुराने वाहनों के लिए मोटर वाहन नियमों में संशोधन करने की अनुमति देने का प्रस्ताव किया था। इसके अलावा, एक मसौदा अधिसूचना में, वाहनों के फिटनेस सर्टिफिकेट के नवीनीकरण की समय सीमा को प्रतिवर्ष के बजाय 6 महीने करने की बात कही गई थी।

क्या है नियम:
इस स्क्रैपिंग पॉलिसी के तहत देश में चलने वाले वाहनों को एक तय समय के अनुसार फिटनेस टेस्ट करवाना होगा। इसके अनुसार पर्सनल व्हीकल्स को 20 साल के बाद और कमर्शियल व्हीकल्स को 15 साल के बाद फिटनेस टेस्ट कराना होगा। पुरानी गाड़ियों का फिटनेस टेस्ट ऑटोमेटेड सेंटर्स में किया जाएगा, जिसका निर्माण सरकार जल्द ही करेगी। इन सेंटर्स पर वाहनों की फिटनेस टेस्ट होगा जहां उन्हें प्रमाण पत्र दिया जाएगा।

क्या है फिटनेस टेस्ट:
नई पॉलिसी गाइडलाइंस के अनुसार, हर वाहनों को तय समय (15 या 20 साल) के बाद इस फिटनेस टेस्ट से गुजरना होगा। इस फिटनेस टेस्ट में पास होने के बाद ही वाहनों को सड़क पर चलने की अनुमति होगी। रिपोर्ट्स के अनुसार फिटनेस टेस्ट के लिए तकरीबन 40,000 रुपये तक का खर्च आएगा, जो कि रोड टैक्स और ग्रीन टैक्स के अलावा होगा। जिसे सभी वाहन मालिकों को अनिवार्य रूप से 15 साल या 20 साल की अवधि के बाद आपके निजी वाहन और व्यवसायिक वाहनों के पंजीकरण को नवीनीकृत कराने के लिए करना होगा। यह फिटनेस सर्टिफिकेट केवल 5 वर्षों के लिए मान्य होगा, इसके बाद फिटनेस सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए आपको पुन: उतना ही खर्च उठाना होगा।

क्या है ग्रीन टैक्स:
पिछले महीने, सरकार ने कहा था कि वह जल्द ही पर्यावरण की रक्षा में पुराने प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर ग्रीन टैक्स लगाने की योजना बनाएगी और प्रदूषण पर अंकुश लगाएगी। हालांकि हाइब्रिड, इलेक्ट्रिक, CNG, इथेनॉल और LPG जैसे वैकल्पिक ईंधन पर चलने वाले वाहनों को छूट दी जाएगी। ग्रीन टैक्स के माध्यम से इकट्ठा किए गए पैसों का इस्तेमाल प्रदूषण से निपटने के लिए किया जाएगा। इस योजना के तहत, आठ साल से अधिक पुराने परिवहन वाहनों पर फिटनेस सर्टिफिकेट के रेनुअल के समय रोड टैक्स के 10 से 25 प्रतिशत की दर से ग्रीन टैक्स लगाया जा सकता है। हालांकि अभी इस प्रस्ताव को मंत्रालय से मंजूरी के बाद राज्यों को परामर्श के लिए भेजा गया है।

क्या होगा जो फिटनेस टेस्ट में गाड़ी हुई फेल:
इस गाइडलाइंस के अनुसार, बिना फिटनेस टेस्ट पास किए किसी भी वाहन को सड़क पर चलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। ऐसे वाहन चलाना जिसने ये टेस्ट पास नहीं किया है गैरकानूनी माना जाएगा। यदि किसी वाहन का फिटनेस टेस्ट नहीं किया गया है तो उसे अपंजीकृत माना जाएगा। अनिवार्य पंजीकरण प्रक्रिया से गुजरने के दौरान कोई फिटनेस परीक्षण को रोक नहीं सकता है, और यदि वाहन परीक्षण में विफल रहता है, तो उक्त वाहन को रजिर्स्ट नहीं किया जाएगा। हालांकि अगर वाहन तीन बार फिटनेस परीक्षण में विफल रहता है तो वाहन मालिक के पास इसे स्क्रैप (कबाड़) में भेजने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं होगा।

प्रदूषण पर लगेगी लगाम:
एक रिपोर्ट के अनुसार इस समय देश में तकरीबन 1 करोड़ ऐसे वाहन हैं जो पुराने हो चुके हैं और ज्यादा प्रदूषण फैला रहे हैं। यह पुराने वाहन तकरीबन 10 से 12 गुना ज्यादा प्रदूषण की जिम्मेदार हैं। यह गाड़ियां यदि सड़कों से हट जाती है तो 25 से 30 फिसदी तक प्रदूषण कम हो जाएगा। आईआईटी के अध्यन के मुताबिक 70 प्रतिशत वाहनों के चलते प्रदूषण होता है और पुराने वाहन सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण करते हैं, इसलिए इन्हें स्क्रैब में भेजना उचित होगा।

कम दाम में कच्चे माल की आपूर्ति:
इसका एक और फायदा यह होगा कि, हमें विदेशों के मुकाबले कम कीमत में रबर, एल्युमिनियम, स्टील मिलेगा। अभी तक यह सारी वस्तुएं विदेशों से मंगवाई जाती रही हैं। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि जब पुराने वाहनों को स्क्रैब डीलर्स के पास भेजा जाएगा तो वहीं से कच्चा माल प्राप्त हो सकेगा, इसी से नई गाड़ियों का निर्माण भी किया जा सकेगा, जिससे नए वाहनों की लागत मूल्य में तकरीबन 30 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिलेगी। नए वाहनों के बाजार में आने से नौकरियां भी जेनरेट होंगी साथ कच्चे माल की आपूर्ति भी कम कीमत में हो सकेगी।

गाड़ी को स्क्रैप में भेजने पर मिलेगा इंसेंटिव:
1 अप्रैल, 2022 से लागू होने वाली इस नीति के साथ सरकार प्रोत्साहन राशि यानी कि इंसेंटिव भी देने का प्रावधान कर रही है। हालांकि यह वाहनों के उम्र और स्थिति पर निर्भर करेगा कि, किस वाहन के लिए कितना इंसेंटिव दिया जाएगा। फिलहाल वाहनों के लिए दिए जाने वाले इंसेंटिव के बारे में सरकार विचार कर रही है और जल्द ही इसके बारे में मंत्रालय द्वारा घोषणा की जाएगी।

क्या वाहन को स्क्रैप में भेजना अनिवार्य है:
यदि आप ऐसा सोच रहे हैं कि 15 या 20 साल के बाद आपके वाहन पूरी तरह से बेकार हो जाएंगे तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। जैसा कि हमने आपको उपर बताया कि, यह यह पॉलिसी फिलहाल स्वैच्छिक होगी। इसका अर्थ है कि ये आपके उपर है कि आप अपने वाहन को स्क्रैप में भेजना चाहते हैं या नहीं, लेकिन इसके लिए आपको वाहन का फिटनेस सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य होगा।