कला दीर्घा के सामने बस स्टैंड बना तो होगा बड़ा आन्दोलन: ब्रिजेन्द्र कौशिक

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प्रस्तावित बस स्टैंड के विरोध में कलाप्रेमियों ने दिखाई एकता, बनाई मानव श्रृंखला

कोटा। नगर विकास न्यास द्वारा कोटा आर्ट गैलरी के सामने प्राइवेट बसों के लिए प्रस्तावित बस स्टैंड के विरोध में रविवार को रंगकर्मी एकता संघ ने विभिन्न सामाजिक और कला, नाट्य, संगीत, नृत्य प्रेमी संस्थाओं के एक साथ मिलाकर कोटा कला दीर्घा के सामने न्यास के निर्णय का विरोध करते हुए नारेबाजी की।

इस अवसर पर रास के युवा कलाकार सिद्धार्थ राहुरे ने भविष्य में आर्ट गैलरी का कैसा स्वरुप हो जायेगा उसकी कल्पना करते हुए रंगों के माध्यम से अपनी भावनाओं को कागज पर दुखी मन से प्रदर्शित किया। वहीं अध्यक्ष ब्रिजेन्द्र कौशिक ने कहा कि यदि नगर विकास न्यास द्वारा प्रस्तावित बस स्टैंड का निर्णय वापस नहीं लिया तो कोटा के सभी कलाकारों द्वारा वृहद् स्तर पर आन्दोलन किया जायेगा।

इस अवसर वरिष्ठ रंगकर्मी डॉ. आनंद बनवारी ने कहा कि बहुत सालों से कला दीर्घा कलाकारों के लिए कोटा शहर में मात्र एक जगह बची हुई थी, जिसे भी न्यास अपनी बिना न्यायोचित नीति के तहत नुकसान पहुंचेगा। इसका सबसे बड़ा दुष्परिणाम उस सीबी गार्डन के स्वच्छ और शांतिपूर्ण वातावरण पर भी पड़ेगा। सोसाइटी हैस ईव शी की अध्यक्ष और कलाप्रेमी डॉ. निधि प्रजापति ने बताया कि कोटा आर्ट गैलरी एकमात्र ऐसी जगह है जहां गरीब, साधन, संसाधन से विहीन कलाकार बहुत ही कम शुल्क में अपनी कला का प्रदर्शन शांत और प्रदूषणमुक्त वातावरण में कर सकते हैं। यहां पर बस स्टैंड आने से कलाकारों की प्रदर्शन का एक मात्र स्थान भी खत्म हो जायेगा।

यूआईटी ऑडिटोरियम पहले ही कलाकारों की पहुंच से बाहर है। रंगकर्मी मनीष सैन ने कहा कि एक और तो आर्ट गैलरी का जीर्णोद्धार हो रहा है। दूसरी और वहां के वातावरण को प्रदूषित करने की न्यास की योजना हो रही है, जो बेहद शर्मनाक है। वैसे ही 10-15 वर्षों के संघर्ष के बाद कला दीर्घा कलाकारों को प्राप्त हुई थी, उसे भी न्यास की दमनकारी योजना के भेंट चढाने की कोशिश सहन नहीं की जाएगी।

पैराफिन ग्रुप के राजेश विलायत ने कहा कि नयापुरा के सौन्दर्य को बनाये रखने के लिए सरकार को आर्ट गैलरी के सामने प्रस्तावित बस स्टैंड को शहर के किसी और हिस्से में हस्तांतरित करने का अनुरोध किया है। इस अवसर पर रजनीश राहुरे, संदीप राय, डॉ. प्रभात कुमार, डॉ. सलीम राज, अब्दुल सलीम, स्पीक मैके के शैलेश महाराजा, हितेश सोलंकी, अशोक नाग्लोत, भूपेंद्र शर्मा, महेंद्र शर्मा, मुकुट सोनी, शरीफ नादान, ब्रजेन्द्र कौशिक, पीयूष पारीक आदि कलाप्रेमी और सुधिजन ने अपना विरोध नारों के साथ प्रदर्शित किया।