देश का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे 5 राज्यों से गुजरेगा, जनवरी 2023 तक होगा तैयार

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    नई दिल्ली। तेजी से विकास की ओर बढ़ रहे भारत में विकास का एक और बड़ा काम होने जा रहा है। या यूं कहिए कि कार्य प्रगति पर है, बस कुछ ही समय में आपको नतीजे दिखने लगेंगे। भारत में जल्द ही आपको दिल्ली और मुंबई के बीच देश का सबसे बड़ा एक्सप्रेसवे देखने को मिलेगा। इसकी लंबाई करीब 1305 किलोमीटर है, जिसे बनाने में लगभग 90 हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी। खुद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इसके बारे में ट्वीट किया है, जिसमें एक वीडियो भी शेयर किया है।

    इस एक्सप्रेसवे को 2018 में शुरू किया गया था और 9 मार्च 2019 को इसकी आधारशिला रखी गई। 1000 किलोमीटर से भी अधिक का कॉन्ट्रैक्ट दिया जा चुका है और काम चालू है। दिल्ली से दौसा सेक्शन जयपुर को जोड़ेगा, जो जयपुर एक्सप्रेसवे का हिस्सा है और वडोदरा से अंकलेश्वर का सेक्शन इकनॉमिक हब बरूच को जोड़ेगा। ये दोनों सेक्शन इसी साल यानी नवंबर 2021 तक शुरू हो जाएंगे। जनवरी 2023 तक ये पूरा एक्सप्रेसवे बनकर तैयार हो जाएगा।

    5 राज्यों से गुजरेगा, जोड़ेगा इकनॉमिक हब्स को
    ये एक्स्प्रेसवे कुल 5 राज्यों से गुजरेगा, जिनमें दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र शामिल हैं। यह एक्सप्रेसवे जयपुर, किशनगढ़, अजमेर, कोटा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, भोपाल, उज्जैन, इंदौर, अहमदाबाद और सूरत जैसे इकनॉमिक हब के लिए भी शानदार कनेक्टिविटी मुहैया कराएगा। ये एक्सप्रेसवे 5 साल में बन जाएगा, जो काफी तेज काम है। बता दें कि 1167 किलोमीर की इंडोनेशिया की ट्रांस जावा रोड 2019 में दो दशकों के बाद बनकर तैयार हुई। वहीं करीब 217 किलोमीटर का जापान का सिंटोमा एक्सप्रेसवे जापान में 2000 में बनकर तैयार हुआ, जिसे बनने में करीब एक दशक का समय लगा।

    इस एक्सप्रेसवे की खासियत

    • इस एक्सप्रेसवे के बनने के बाद दिल्ली से मुंबई के बीच की दूरी करीब 130 किलोमीटर कम हो जाएगी।
    • दिल्ली से मुंबई जाने में लगने वाला समय 24 घंटे से घटकर आधा यानी 12 घंटे हो जाएगा।
    • इससे हर साल करीब 32 करोड़ लीटर फ्यूर की बचत होगी।
    • इसकी वजह से सालाना करीब 85 करोड़ किलोमीटर कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन घटेगा, जो 4 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।
    • एक्सप्रेसवे के आसपास 15 लाख पेड़ लगाए जाएंगे।
    • ये एशिया का पहला और दुनिया का दूसरा ऐसा एक्सप्रेसवे होगा, जिस पर एनिमल ओवरपास बनेंगे, ताकि जानवरों को जंगल में सड़क पार करने में कोई दिक्कत ना हो।
    • इस एक्सप्रेसवे में 3 अंडरपास हैं और 5 ओवरपास हैं।
    • यह एक्सप्रेसवे बनाने में 5 लाख टन से भी अधिक स्टील लगेगा, जो करीब 20 हावड़ा ब्रिज के बराबर है।
    • करीब 50 करोड़ क्यूबिक मीटर जमीन को मूव किया जाएगा, जो 60 लाख ट्रक ट्रिप्स के जरिए होगा।
    • इसमें 35 लाख टन सीमेंट लगेगा, जो देश के कुल प्रोडक्शन का करीब 1 फीसदी है।
    • इस एक्सप्रेस से लगभग 15 लाख मजदूरी के दिन पैदा होंगे, जिससे हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा।
    • काम में तेजी लाने के लिए एडवांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हो रहा है, जिसमें ड्रोन से सर्वे हो रहा है।