नई दिल्ली। कोरोना के बीच देश का केंद्रीय बजट एक फरवरी को पेश होगा। इसी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के प्रमुख अर्थशास्त्रियों और सेक्टोरल एक्सपर्ट से शुक्रवार को बातचीत की। इस बैठक का आयोजन नीति आयोग द्वारा किया गया था। बैठक वर्चुअली आयोजित की गई थी।
अर्थशास्त्रियों ने ये सुझाव दिए
- अर्थशास्त्रियों ने इन मीटिंग में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर व्यवस्थाओं को तर्कसंगत बनाने को कहा है।
- कुछ खास चीजों पर आयात शुल्कों में कमी करना, कोविड-19 को देखते हुए बैंकों का री-कैपिटलाइजेशन और निजीकरण को बढ़ावा देने को कहा।
- इसके अलावा बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर सार्वजनिक खर्च को बढ़ाने के लिए कहा गया है ताकि नए रोजगार के अवसर बनाए जा सकें।
- मीडियम-टर्म फिस्कल रोडमैप पर काम करने और रुपए की स्थिरता को भी इकोनॉमी के लिए जरूरी बताया गया है। अर्थशास्त्रियों ने सरकार से खुदरा महंगाई दर पर नजर रखने के लिए भी कहा है।
- अर्थशास्त्रियों ने कहा कि सरकार को 2021- 22 के आगामी बजट में राजकोषीय घाटे के प्रति उदार रुख अपनाना चाहिए।
- कुछ अर्थशास्त्रियों ने निर्यात प्रोत्साहनों पर ध्यान देने की बात कही। इसके साथ ही कहा कि घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये यह जरूरी है।
- एक शीर्ष अर्थशास्त्री ने सरकार भारत को $ 10 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनाने के लिए 10 साल का रोड मैप तैयार करने का सुझाव दिया।
16 अर्थशास्त्रियों ने लिया भाग
बैठक में 16 अर्थशास्त्रियों ने लिया भाग लिया। इनमें अरविंद पनगढ़िया, अरविंद विरमानी, अभय पेठे, अशोक लाहिड़ी, अबेक बरुआ, इला पटनायक, केवी कामथ, मोनिका हालन, राजीव मन्त्री, राकेश मोहन, रवींद्र ढोलकिया, सौम्या कांति घोष, शंकर आचार्य, शेखर शाह, सोनल वर्मा और सुनील वर्मा शामिल हैं।
इस बैठक में पीएम मोदी के अलावा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर, नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार और नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत समेत कई अन्य लोग शामिल हुए। साथ ही पीएम के प्रधान सचिव, PM के प्रमुख सलाहकार, कैबिनेट सचिव ने भी बैठक में भाग लिया।