जयपुर। शिक्षण संस्थानों को खोलने के लिए गृहविभाग की ओर से जारी की गई गाइडलाइन के एक बिंदू पर विवाद खड़ा हो गया है। कोचिंग संस्थानों के लिए जारी की गई गाइडलाइन के इस बिंदु में कहा गया है कि अगर अध्ययन के दौरान विद्यार्थी संक्रमित होता है तो निकटस्थ अस्पताल में या कोविड सेंटर में भर्ती कराया जाए और इसका खर्चा संस्थान वहन करेगा। कोचिंग संचालकों के साथ साथ इस बिंदु का निजी स्कूल संचालकों ने भी विरोध किया है। हालांकि गुरुवार को शिक्षा विभाग की ओर से जारी स्कूल संचालन की एसओपी में इस तरह का कोई बिंदु शामिल नहीं था।
सरकार ने 18 जनवरी से कोचिंग संस्थानों सहित स्कूल और कॉलेजों को खोलने की स्वीकृति प्रदान की है। इसको लेकर बुधवार को गृहविभाग ने एक गाइडलाइन जारी की थी। इसमें कोचिंग संस्थानों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने यहां अध्ययन के दौरान विद्यार्थी के संक्रमित होने पर उसके इलाज का खर्चा वहन करेंगे।
कोचिंग संचालकों ने यह कहते हुए इसका विरोध किया है कि यह कैसे तय होगा कि विद्यार्थी संक्रमित कहां हुआ है। उनको खर्चे के लिए बाध्य करना गलत है। वे इसका विरोध करते हैं। उनका कहना है कि कोचिंग संस्थान बंद रहने से पहले से ही उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। इस तरह का बाध्यता लागू करके सरकार उनके साथ अन्याय कर रही है।
विवादित बिंदु नंबर-11
संस्थान में अध्ययन के दौरान किसी विद्यार्थी में कोविड-19 के लक्षण पाए जाने पर उसे तुरंत निकटस्थ अस्पताल कोविड सेंटर में आइसोलेशन या इलाज के लिए रेफर या भर्ती किया जाएगा। जिसका व्यय संस्थान द्वारा वहन किया जाएगा।
लॉकडाउन के चलते हम पहले ही आर्थिक तंगी का शिकार है। अब सरकार विद्यार्थी के इलाज का खर्चा भी हमारे माथे डाल रही है। यह गलत है। विद्यार्थी तो कई जगह घूमेगा। यह कैसे तय होगा कि वह हमारे यहां संक्रमित हुआ है। सरकार को इस विवादित बिंदु को गाइडलाइन से तुरंत हटाना चाहिए।अगर नहीं हटाया तो मजबूरन हमें-आंदोलन करना पड़ेगा। – आरसी शर्मा, अध्यक्ष, ऑल कोचिंग इंस्टीट्यूट महासंघ
गाइडलाइन को देखें तो संक्रमित बच्चे के इलाज का खर्चा वहन करने का बिंदू स्कूलों पर लागू नहीं होता है। यह कोचिंग संस्थानों के लिए है। फिर भी सरकार को इस बारे में स्पष्ट करना चाहिए। साथ ही इस तरह के बिंदू शामिल करना शिक्षण संस्थानों के साथ अन्याय है। – दामोदर प्रसाद गोयल, अध्यक्ष, सोसायटी फॉर अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स ऑफ राजस्थान