मुंबई। शेयर बाजार में गिरावट भले ही दो दिनों से हो, लेकिन पिछले तीन महीनों में देश की दिग्गज कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) ने जबरदस्त घाटा निवेशकों को दिया है। 16 सितंबर को इसका शेयर 2,368 रुपए था जो आज 1900 से भी नीचे आ गया। इस वजह से इसके मार्केट कैप में इस अवधि में 3.50 लाख करोड़ रुपए की कमी आई है। उधर विदेशी निवेशकों ने पहली बार पिछले 52 दिनों में भारतीय बाजार से पैसे निकाले हैं।
बता दें कि रिलायंस इंडस्ट्रीज और इसके पार्शियली पेड (PP) शेयर का मार्केट कैप 16 सितंबर को 16 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा था। इसमें रिलायंस का मार्केट कैप 15.40 लाख करोड और PP का 60 हजार करोड़ रुपए था। यह पहली भारतीय कंपनी थी जिसने 200 अरब डॉलर का मार्केट कैप हासिल किया था। आज PP का मार्केट कैप 43 हजार करोड़ रुपए हो गया है। जबकि रिलायंस का मार्केट कैप 12.12 लाख करोड़ है। सुबह में यह इससे भी नीचे चला गया था।
TCS लगातार नई ऊंचाई पर
बता दें कि इसी अवधि में टाटा कंसलटेंसी सर्विसेस (TCS) का शेयर नई ऊंचाई छुआ है। शुक्रवार को यह 2,898 रुपए पर था। मार्केट कैप 10.80 लाख करोड़ था। हालांकि आज भी बाजार की गिरावट में यह शेयर ऊपर है। इसका मार्केट कैप 10.68 लाख करोड़ रुपए है। सितंबर में TCS और रिलायंस के बीच 6 लाख करोड़ रुपए का अंतर था। अब यह अंतर महज 2 लाख करोड़ रुपए रह गया है। रिलायंस के PP का शेयर सितंबर से अब तक 23% टूटा है। यह इस समय 1,016 रुपए पर कारोबार कर रहा है।
FII ने शेयरों को बेचने की शुरुआत की
उधर दूसरी ओर पिछले 52 दिनों में भारतीय शेयर बाजार में 1.07 लाख करोड़ रुपए का शुद्ध निवेश करने वाले विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने पहली बार बिकवाली की है। सोमवार को इन्होंने 323 करोड़ रुपए की बिकवाली की थी। इन निवेशकों ने 6,595 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे जबकि 6,919 करोड़ रुपए के शेयर बेच डाले। ऐसी उम्मीद है कि यहां से इनका रुझान अब बेचने का हो सकता है।
एक हफ्ते में ये शेयर 15 पर्सेंट तक टूटे
एक हफ्ते में प्रमुख शेयरों की गिरावट की बात करें तो बैंकिंग शेयरों की जबरदस्त पिटाई हुई है। IDBI बैंक 23%, PNB 20%, इंडियन बैंक 15%, बैंक ऑफ बड़ौदा का शेयर 15%, बैंक ऑफ महाराष्ट्र का शेयर 15% और SBI का शेयर 10% टूटा है। इनके अलावा ल्युपिन, स्पाइस जेट जैसे ए ग्रुप के शेयर भी एक हफ्ते में 10 से 18% तक टूटे हैं। बाजार में लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप दो दिनों में 8 लाख करोड़ रुपए घट कर 178 लाख करोड़ से नीचे चला गया है।