मुंबई। सरकारी बैंकों के लिए जल्द ही खुशखबरी मिल सकती है। खबर है कि सरकार 20 हजार करोड़ रुपए इन बैंकों में डालने की योजना बना रही है। ऐसा होने पर बैंकों के शेयरों में तेजी देखी जा सकती है।
दरअसल कोरोना के चलते बड़े पैमाने पर लोन डिफॉल्ट होने की आशंका है। हालांकि अभी तक सुप्रीम कोर्ट ने नए लोन को डिफॉल्ट करने पर रोक लगा दी है। जिससे बैंक इसे घोषित नहीं कर पा रहे हैं। इस मामले में 14 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। जैसे ही कोर्ट इस पर से अपना ऑर्डर हटाएगी, तुरंत बड़े पैमाने पर डिफॉल्ट की लिस्ट आ जाएगी।
सरकार इसी डिफॉल्ट को ध्यान में रखते हुए सरकारी बैंकों में 20 हजार करोड़ रुपए की रकम डालेगी। लोन डिफॉल्ट होने पर बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियमों के अनुसार ज्यादा प्रावधान करना होगा। यानी आगे कितना डिफॉल्ट होगा उसके एवज में एक अंदाजित रकम बैंक को साइड में रखनी होगी। इससे बैंकों पर दबाव बनेगा। सूत्रों के मुताबिक सरकार इस मामले में संसद की मंजूरी लेने वाली है। वह अतिरिक्त खर्च के लिए मंजूरी लेगी। 2020-21 के लिए सप्लीमेंट्र डिमांड की पहली बैच के मुताबिक, सरकार 2.35 लाख करोड़ रुपए के अतिरिक्त खर्च के लिए मंजूरी ले सकती है।
सितंबर में सरकार ने पैसा डाला था
सरकार ने इससे पहले बैंकों में सितंबर 2019 में पैसा डाली थी। सरकार ने उस समय 70 हजार करोड़ रुपए की भारी-भरकम रकम बैंकों को दी थी। पिछले कुछ सालों से सरकार ने बैंकों में 3.5 लाख करोड़ रुपए की रकम डाली है। इसमें से वित्त वर्ष 2018 में 80 हजार करोड़ रुपए और वित्त वर्ष 2019 में 1.06 लाख करोड़ रुपए सरकार ने डाला था।
इस साल पैसा डालने की नहीं थी योजना
हालांकि इस साल के बजट में सरकार बैंकों में पैसे डालने के लिए कोई घोषणा नहीं की थी। सरकार इस साल पैसे डालने के मूड में नहीं थी। लेकिन इसी बीच कोरोना ने सरकार की इस योजना को पलट दिया। सितंबर में वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण ने कहा था कि वे संसद से 40 हजार करोड़ रुपए की मंजूरी लेने की योजना बना रही हैं। इसमें कुछ पैसे मनरेगा के लिए भी अलॉट करने थे।
आरबीआई से मांगी मंजूरी
उधर दूसरी ओर गुरुवार को ही बैंकों ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से मंजूरी मांगी है। बैंकों ने कहा है 1.10 लाख खाते ऐसे हैं जिनको योग्य रखा जाए। इंडियन बैंक्स एसोसिएशन ने रिजर्व बैंक को एक पत्र लिखकर इस तरह की मांग की है। उनका मानना है कि इन खातों को रिस्ट्रक्चरिंग किया जाना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो बड़े पैमाने पर खाते डिफॉल्ट हो सकते हैं। यह रिस्ट्रक्चरिंग रिजर्व बैंक के 6 अगस्त के सर्कुलर के आधार पर होगी।
एक बार की रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा
रिजर्व बैंक ने इस सर्कुलर के तहत 31 दिसंबर से पहले एक बार रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा दी है। इसके अमल की अंतिम तारीख 30 जून 2021 है। इसमें से भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को अकेले 40 हजार MSME लोन के रिस्ट्रक्चरिंग के लिए आवेदन मिले हैं। जबकि 4 हजार रिटेल खातों के लिए आवेदन मिले हैं। रेटिंग एजेंसी S&P ग्लोबल के मुताबिक, भारतीय बैंकों के बुरे फंसे कर्जों यानी NPA मार्च 2022 तक 10-11% रह सकता है। यह जून 2020 में 8% था। कोरोना की वजह से बड़े पैमाने पर कर्ज फंसने की आशंका है।