कोटा। प्रदेश में सर्द मौसम (winter in rajasthan) के बीच अब कोटा में हॉस्टल संचालक अब अपनी मांग को लेकर आंदोलन तेज करने जुट गए है। इसके तहत राज्य सरकार की ओर से कोचिंग क्लासेज को शुरू करने की अनुमति नहीं देने से गुस्साए कोटा हॉस्टल संचालक मालिक और कोटा हॉस्टल एसोसिएशन ने शनिवार को जल सत्याग्रह किया। उल्लेखनीय है कि इससे पहले शुक्रवार को हॉस्टल मालिकों ने जिला कलेक्ट्रेट पर राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था।होटल संचालकों ने अब सरकार को चेतावनी दी कि 30 नवंबर तक कोचिंग शुरू करने की अनुमति नहीं मिलने पर वे चक्का जाम करेंगे।
जल सत्याग्रह के दौरान नारेबाजी
मिली जानकारी के अनुसार शनिवार को होटल संचालकों ने भीतरिया कुंड पहुंचकर चंबल नदी में अर्धनग्न होकर जल सत्याग्रह किया है। साथ ही इस दौरान सरकार के खिलाफ खूब नारेबाजी भी की गई। यहां अपनी मांग को मनवाने की तख्तियां लेकर हॉस्टल संचालक मालिक चंबल नदी में जल सत्याग्रह करते हुए दिखाई दिए हैं। कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल का कहना है कि पिछले 2 माह से वे लोग लगातार सरकार से संपर्क साध रहे हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को उन्होंने अपनी समस्या बताई है।
आर्थिक- माली हालत से वे लोग जूझ रहे हैं। उनके पास परिवार को चलाने तक के पैसे नहीं है। अपने कर्मचारियों को वे लोग तनख्वाह तक नहीं दे पा रहे हैं। ऐसे में आर्थिक संकट से जूझ रहे परिवार अब किसी भी हद पर उतरने को तैयार हैं। ऐसे में हमारा आग्रह है कि सरकार कोटा कोचिंग क्लासेस शुरू करने की अनुमति दें। मित्तल ने कहा कि हम लोग सरकार के ओर से जारी की गई कोरोना गाइड लाइन की पूरी पालना करते हुए अपना व्यवसाय संचालित करेंगे।
कोरोना काल में सुरक्षित पहुंचाया स्टूडेंट्स को घर
हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल ने कहा कि कोटा शहर वह शहर है, जिसने विभिन्न राज्यों के स्टूडेंट को कोरोना से बचाते हुए, बसों में सवार करके उनके घरों तक भेजा है। ऐसे में उन बच्चों को हॉस्टल संचालक मालिक पूरी हेल्थ सिक्योरिटी के साथ कोटा शहर में बुलाने को तैयार हैं। चंबल नदी में जल सत्याग्रह करते समय मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी सरकार से गुहार है कि जल्द से जल्द कोचिंग क्लासेस शुरू करने की परमिशन दें।
शराब ठेके से लेकर राजनैतिक कार्यक्रमों को अनुमति
चंबल हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष शुभम अग्रवाल ने कहा कि देश में विभिन्न व्यवसाय सरकारों की ओर से अनलॉक कर दिए गए हैं। लेकिन कोटा का कोचिंग व्यवसाय, हॉस्टल व्यवसाय आज भी ठप पड़ा हुआ है। यह शहर बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा है। चार हॉस्टल व्यवसायी ने आर्थिक संकट के चलते सुसाइड किया है। ऐसे में समझ सकते हैं कि गंभीर हालात कितने गंभीर बने हुए हैं। शुभम अग्रवाल ने कहा कि 8 माह से सरकार कोरोना संक्रमण को रोक पाने में नाकाम रही है। जबकि व्यवसाय पूरी तरह से ठप पड़े हुए हैं। सरकार कोचिंग हॉस्टल संचालकों के साथ भेदभाव कर रही है। जबकि शराब के ठेके, रेस्टोरेंट, शादी ब्याह विभिन्न तरह के चुनाव सरकार की ओर से आयोजित किए गए हैं। तो फिर कोटा की कोचिंग और कोटा के हॉस्टल सरकार ने क्यों बंद कर रखे हैं। इस बात का जवाब सरकार को देना चाहिए।
हॉस्टल संचालकों पर 9000 करोड का कर्जा
हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल का कहना है कि पूरे भारत में राजस्थान का कोटा शहर आईआईटी और मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम की कोचिंग करवाने के लिए प्रसिद्ध है। देश के हर राज्य का स्टूडेंट कोटा शहर में रहकर साल भर कोचिंग करता है। पिछले दो दशक से कोटा की अर्थव्यवस्था कोचिंग क्लासेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट पर निर्भर हैं। हर साल कोटा शहर में विभिन्न कोचिंग क्लासेज में करीब डेढ़ से दो लाख स्टूडेंट एडमिशन ले कर यहां कोचिंग करते हैं। उनके रहने के लिए शहर में करीब तीन हजार हॉस्टल, पीजी संचालित हो रहे हैं। एक बड़ा कारोबार हॉस्टल, पीजी, मैस, फूड रेस्टोरेंट, ऑटो, ठेला फुटकर व्यापारी, पोछा, बर्तन साफ-सफाई कार्मिक व सुरक्षा गार्ड इन सभी की आजीविका इन्हीं स्टूडेंट पर निर्भर है। लेकिन मार्च 2020 कोरोना वायरस का संक्रमण के शहर में पैर पसारने के बाद से कोचिंग व्यवसाय हॉस्टल व्यवसाय को ग्रहण लग गया है। हॉस्टल संचालकों पर करीब 9000 करोड रुपए का कर्जा बैंकों का चढ़ा हुआ है। बैंकों को आईएमआई से लेकर कर्मचारियों को तनख्वाह ना देने लिए हम विवश हैं।