अन्‍वय सुसाइड केस: अर्नब को फंसाने के लिए गृहमंत्री देशमुख के निर्देश पर कार्रवाई

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मुंबई। मुंबई पुलिस ने बुधवार को रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्‍वामी को उनके वर्ली स्थित घर से अरेस्‍ट किया। उन्‍हें इंटीरियर डिजाइनर अन्‍वय नाइक (53) को खुदकुशी के लिए उकसाने के दो साल पुराने मामले में अरेस्‍ट किया गया। नाइक ने अपने सूइसाइड नोट में कहा था कि इन लोगों की वजह से तीन फर्मों के मालिक- एआरजी आउटलायर (रिपब्लिक टीवी की संचालक), आईकास्‍टएक्‍स/स्‍काईमीडिया के फिरोज शेख और स्‍मार्टवर्क्‍स के नीतिश सारदा उनका बकाया नहीं चुका रहे हैं। शेख और सारदा को भी बुधवार को कांदिवली और जोगेश्‍वरी के उनके घरों से पकड़ा गया है।

पुलिस ने कोर्ट में जो रिमांड एप्लिकेशन जमा की है उसमें कहा गया है कि पैसा न मिलने की वजह से मृतक अपने वेंडर्स को बकाया नहीं चुका पा रहा था, इस वजह से मानसिक तनाव में था, इसलिए उसने आत्‍महत्‍या कर ली। पुलिस ने पिछले साल इस केस को बंद कर दिया था लेकिन राज्‍य के गृहमंत्री अनिल देशमुख के निर्देश पर पुलिस इस साल के शुरू में कोर्ट में गई और इसे दोबारा खोला। पुलिस का कहना है कि इस साल मई में नाइक की बेटी अदन्‍या गृहमंत्री से मिली थी।

महाराष्‍ट्र सरकार पर बदले की कार्रवाई का आरोप
अर्णब गोस्‍वामी की ग‍िरफ्तारी के बाद से चैनल और बीजेपी दोनों ही राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगा रहे हैं। इनका कहना है कि चूंकि अर्णब महाविकास अघाड़ी सरकार की आलोचना करते रहे हैं इसलिए यह कदम उठाया गया है। कई केंद्रीय मंत्रियों और बीजेपी नेताओं ने इस गिरफ्तारी की तुलना इमर्जेंसी के दौरान प्रेस की आजादी पर प्रहार से की है। अरेस्‍ट की आलोचना करने वालों के आरोप हैं कि अर्णब गोस्‍वामी को परेशान करने के लिए ही खुदकुशी के लिए उकसाने वाले इस केस को हवा दी जा रही है। अर्णब गोस्‍वामी के चैनल रिपब्लिक टीवी में शुरू में एक सांसद ने पैसा लगाया था जो अब बीजेपी में शामिल हैं।

अर्णब ने दी गिरफ्तारी को चुनौती
बुधवार को ही अर्णब ने इस गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए बॉम्‍बे हाईकोर्ट में हैबियस कॉरपस या बन्दी-प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। याचिका में अर्णब ने अरेस्‍ट को अवैध बताते हुए कहा कि उन्‍हें झूठे मामले में फंसाने के लिए बंद हुआ केस दोबारा खोला गया है। गोस्‍वामी को जुडिशल कस्‍टडी में भेजते हुए अलीबाग कोर्ट की चीफ जुडिशल मैजिस्‍ट्रेट सुनयना पिंगले ने कहा, ‘रिमांड के लिए दी गई वजहों का कोई अर्थ नहीं समझ आ रहा साथ ही पुलिस कस्‍टडी से कोई मकसद हल नहीं होता दिखाई देता।’

मैजिस्‍ट्रेट का कहना था कि जांच करने वाले पुलिस अफसरों ने बिना संबंधित जुडिशल मैजिस्‍ट्रेट के आदेश के अपने आप यह केस दोबारा खोला है। इसके जवाब में पुलिस की ओर से कहा गया कि आगे जांच के लिए एप्लिकेशन फाइल की गई है। बाद में अर्णब ने बेल के लिए अर्जी दाखिल की। कोर्ट ने सरकारी वकील और जांचकर्ता अफसर से उनकी राय मांगी है।

गोस्‍वामी के वकील आबाद पोंडा और चंदन मुखर्जी ने किसी भी तरह की रिमांड दिए जाने का विरोध किया। उनका कहना था कि जब तक कोई नया घटनाक्रम नहीं होता या जुडिशल ऑर्डर नहीं आ जाता तब तक केस को दोबारा नहीं खोला जा सकता।

साल 2018 में की थी अन्‍वय और कुमुद ने आत्महत्‍या
अन्‍वय नाइक और उनकी मां कुमुद 5 मई 2018 को अलीबाग के फार्महाउस में मृत पाए गए थे। नाइक की पत्‍नी अक्षता ने शिकायत दर्ज कराई थी कि एआरजी आउटलायर के अर्णब गोस्‍वामी ने बॉम्‍बे डाइंग स्‍टूडियो प्रॉजेक्‍ट के 83 लाख रुपयों का भुगतान नहीं किया। इसके अलावा शेख और सारदा ने भी जो काम कराया उसका 4.6 करोड़ रुपया बकाया है।

नाइक आर्किटेक्‍चर और इंटीरियर डिजाइनिंग फर्म कॉनकॉर्ड डिजाइन्‍स के एमडी थे। उनकी मां कुमुद बोर्ड ऑफ डायरेक्‍टर्स में शामिल थीं। नाइक के सूइसाइड नोट के आधार पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 306 के आधार पर गोस्‍वामी, शेख और सारदा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी।

पुलिस की दलील- मंजूरी के बाद ही केस खोला
रिमांड की याचिका में पुलिस ने कहा है कि वे वर्क ऑर्डर की जांच करना चाहते हैं साथ ही जितने पैसे का पेमेंट किया गया है उसकी रसीदें खोजना चाहते हैं। अलीबाग पुलिस ने अक्‍टूबर 2019 में इस केस को ‘ए समरी’ के तहत रखते हुए केस को बंद करने की रिपोर्ट लगा दी थी। ए समरी ऐसे केस को कहा जाता है जहां मैजिस्‍ट्रेट की राय में मामला सही तो है लेकिन उसकी जांच करना संभव नहीं। इस पर अलीबाग पुलिस का कहना है कि 15 अक्‍टूबर को चीफ मैट्रोपॉलिटिन मैजिस्‍ट्रेट के पास केस को फिर से खोलने की अनुमति की अर्जी दी थी। अदालत की मंजूरी मिलने के बाद ही केस को खोला गया है।