नई दिल्ली। एक जुलाई से लागू वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) की मार से बीमार भी नहीं बच पाएंगे। अब डायलिसिस कराना, पेसमैकर लगवाना और हड्डी व कैंसर के इलाज में काम आने वाले उपकरणों पर टैक्स की दर बढ़ गई है।
ऐसे में किडनी (गुर्दे), दिल, कैंसर व हड्डी रोगों के मरीजों को ज्यादा खर्च करना होगा। इसकी जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट से ही मिली है। मंत्रालय ने इन रोगों के इलाज में सहायक उपकरणों पर लागू कर की नई दरें उजागर की हैं।
जीवनरक्षक दवाएं करमुक्त : स्वास्थ्य मंत्रालय की जीएसटी इकाई ने स्वास्थ्य सेवाओं पर जीएसटी के असर को लेकर पिछले कई दिनों से उठ रहे सवालों का जवाब दिया है।
अधिकारियों के मुताबिक, डायग्नोस्टिक किट (बीमारियों की जांच व उनके उपचार में लगने वाले उपकरण) को जीएसटी के तरह 28 प्रतिशत के कर दायरे में रखा गया है, लिहाजा सभी तरह के डायग्नोसिस भी महंगे हो जाएंगे।
इसका असर निश्चित तौर पर बीमारों पर ही पड़ेगा। हालांकि, इसमें हेपाटाइटिस डायग्नोसिस किट और रेडियोलॉजी मशीनें शामिल नहीं हैं।
हालांकि, एक अन्य सवाल के जवाब में मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि जीवनरक्षक दवाएं, हेल्थकेयर सेवाएं व मेडिकल उपकरण जीएसटी के तहत करमुक्त बने रहेंगे।
उपकरणों पर कितने फीसद बढ़ा टैक्स रोग पुरानी दर नई दर डायलिसिस 5 12 पेसमैकर 5.5 12-18 आर्थोपेडिक्स 5 12 कैंसर 5 7-12 (ब्लड कैंसर को छोड़कर)
मेडिकल टूरिज्म को राहत : जीएसटी के बाद दूसरे देशों से इलाज के लिए भारत आने वालों को थोड़ी राहत मिलेगी। उनका बीमा, फार्मास्यूटिकल्स व यात्रा का खर्च कम हो गया है। इससे देश में मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
वस्तुओं की आपूर्ति पर असर नहीं, कीमतों पर रखी जा रही नजर
केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह जीएसटी लागू होने के बाद से आटे से लेकर चाय पत्ती तक 25 से 30 आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर प्रतिदिन नजर रख रही है। आपूर्ति की स्थिति भी सामान्य बनी हुई है।
केंद्रीय उत्पाद व सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) की चेयरपर्सन वनजा सरना ने बताया कि कीमतों में किसी भी असामान्य उतार-चढ़ाव को तत्काल काबू में करने के प्रति सरकार सजग है।
जीएसटी लागू होने के बाद से कीमतें करीब-करीब नियंत्रण में बनी हुई हैं। आपूर्ति की भी कोई बड़ी अव्यवस्था नहीं देखी गई। जीएसटी में सेंट्रल एक्साइज से लेकर सर्विस टैक्स व वैट तक कुल 17 तरह के कर खत्म समाहित हो गए हैं।
सरना ने बताया कि पिछले 30 दिनों में कीमतों व आपूर्ति की रोजाना रिपोर्ट तैयार की गई है। एक भी दिन कोई अनुचित चीज सामने नहीं आई। इन पर निगरानी के लिए कैबिनेट सचिव ने 200 अफसरों की टीम बनाई थी। प्रत्येक अफसर को 3-4 जिले सौंपे गए थे।