नई दिल्ली। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कंपनी लॉ के बाद अब जीएसटी के कई कानूनों को गैरआपराधिक बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए वित्त मंत्रालय ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स (सीबीआईसी) के अधिकारियों की एक कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी सभी हितधारकों के साथ बातचीत करेगी और इंडस्ट्री से इनपुट लेगी। इसके बाद अंतिम रिपोर्ट कैबिनेट के पास भेजी जाएगी।
जीएसटी कानून में प्रस्तावित बदलावों पर इनपुट लेने के लिए गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के महानिदेशक (डीजीजीएसटी) ने इंडस्ट्री चैंबर्स को पत्र लिखा है। इस पत्र में डीजीजीएसटी ने कहा है कि अपराधों को कम करने और व्यापक प्रावधान का उपयोग करने के लिए जीएसटी कानूनों की समीक्षा की जा रही है। इस उद्देश्य बिजनेस सेंटीमेंट में सुधार लाना, मुकदमेबाजी कम करना और अदालतों का बोझ कम करना है।
इंडस्ट्री ने किया प्रस्तावित बदलावों का स्वागत
केंद्र सरकार की ओर से जीएसटी कानूनों में किए जा रहे बदलावों का इंडस्ट्री ने स्वागत किया है। इंडस्ट्री का मानना है कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए अपराधों को गैरआपराधिक बनाने से विभिन्न प्राधिकरणों की ओर से किया जा रहा उत्पीड़न बंद होगा। जीएसटी के मौजूदा कानून में कर देनदारी से बचने का प्रयास करने पर इंडिविजुअल को गिरफ्तार करने और जेल भेजने का प्रावधान है। इसके अलावा इनपुट टैक्स क्रेडिट के प्रावधानों के गलत इस्तेमाल पर भी गिरफ्तारी हो सकती है।
इन कानूनों को गैरआपराधिक बनाने की तैयारी
- आंशिक तौर पर तकनीकी और प्रक्रियात्मक चूक।
- सीएसआर रिपोर्ट में छोटी अवधि की देरी।
- अपर्याप्त या अधूरी बोर्ड रिपोर्ट।
- फाइलिंग डिफॉल्ट।
- एजीएम में देरी।