जांच में जिसे गलत पाया, टेंडर निरस्त कर फिर उसी फर्म को दिया कार्यादेश

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कोटा। जिला स्वास्थ्य समिति एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कोटा के मेनपावर सप्लाई के लिए जारी की गई निविदाओं में फर्जीवाड़ा होने पर बनाई गई कमेटी ने टेंडर प्रक्रिया को नियम विरूद्ध माना था और उसके चलते टेंडर को निरस्त कर दिया गया था, लेकिन एक बार फिर नियमों को ताक पर रखते हुए जिन फर्मों को वर्कऑर्डर जारी किया था, उन्हीं को फिर से वर्कऑर्डर जारी कर भ्रष्टाचार किया जा रहा है।

संयुक्त निदेशक के आदेश की परवाह किए बिना ही अल्फा एक्स सोल्जर मल्टिपरपज कॉ-ऑपरेटिव सोसायटी लि. शिवपुरा कोटा एवं यूनिटेक कम्प्यूटर एण्ड लेबर सप्लाई बारां से कार्य करवाए जाने के लिए आदेश जारी किए गए हैं। कार्तिकेय एज्यूकेशन एण्ड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की अध्यक्ष मीना नामा, निवासी रामपुरा कोटा ने कहा कि अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के सीएमएचओ नियम विरूद्ध कार्य कर रहे हैं।

मीना नामा ने बताया कि 17 अप्रेल 2020 को मेन पावर सप्लाई किए जाने के लिए जारी निविदाओं में हमारी फर्म कार्तिकेय एज्यूकेशन एण्ड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट ने भी भाग लिया था लेकिन चहेतों को लाभ देने के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. भूपेन्द्र सिंह तंवर ने हमारी फर्म को नियम विरूद्ध बाहर कर भ्रष्टाचार किया है। इस भ्रष्टाचार की शिकायत प्रथम अपील अधिकारी संयुक्त निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं जोन कोटा के समक्ष प्रस्तुत की गई।

अपील करने के बाद बनाई गई जांच कमेटी ने पारदर्शिता नियम 2013 के नियम 3 (2), नियम 40 (2), नियम 55 (4), पारदर्शिता नियम 2012 के नियम 13 (2), नियम 13 (2), (ड), पारदर्शिता नियम 2012 के नियम 14 (6), नियम 38 (7) में संयुक्त निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं कोटा द्वारा वित्तीय अनियमितताएं मानते हुए टेंडर निरस्त किए जाने के निर्देश दिए थे।

इन सबके बावजूद वित्तीय नियमों एवं प्रशासकीय आदेशों को धत्ता बताते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कोटा डॉ. भूपेन्द्र सिंह तंवर द्वारा अन्य फर्म से लिए गए लाभ के चलते टेंडर को निरस्त नहीं करके राजस्थान लोक उपापयन अधिनियम 2012 नियम 13 का उलंघन किया गया। साथ ही वरिष्ठ अधिकारी के आदेशों की खुले आम धज्जियां उड़ाई गई।

मौखिक आदेश से मेन पावर के लिए दबाव बना रहे सीएमएचओ
नामा ने बताया कि उच्चाधिकारियों के आदशों की पालना नहीं करते हुए 11 अगस्त 2020 से चिकित्सा संस्थानों पर मेन पावर रखने के लिए दबाव बनाते हुए मौखिक आदेश दिए गए जो सरासर पद का दुरूपयोग है। उन्होंने कहा कि जब जांच कमेटी ने पूरी प्रक्रिया को गलत बताते हुए टेंडर निरस्त करने की बात कही है तो उसके बाद फिर से कार्यादेश कैसे जारी किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि सीएमएचओ उच्चाधिकारियों के लिखित आदेश भी नहीं मान रहे हैं।

इस मामले में उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि शर्तों को पूरा किया गया है, किसी भी दस्तावेज की कमी नहीं रही है, समय से पहले सभी नियमों को फोलो करने के बाद भी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने जानबूझ कर कार्तिकेय एज्यूकेशन एण्ड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट को बाहर किया और अपने चहेतों को मेन पावर का टेंटर दिया और वर्कआर्डर भी जारी कर दिया। इस पूरी प्रक्रिया में साफ तौर से भ्रष्टाचार सामने आया है।