नई दिल्ली। अगर आप एसयूवी या लग्जरी सेडान खरीदने के बारे में सोच रहे हैं तो जल्द फैसला कर लेना ठीक होगा क्योंकि माना जा रहा है कि गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स काउंसिल ने लग्जरी गाड़ियों पर सेस को अभी के 15 पर्सेंट से बढ़ाकर 25 पर्सेंट करने का फैसला किया है।
हालांकि, अगर काउंसिल सेस बढ़ाने का फैसला करती है तो यह तुरंत लागू नहीं होगा। इसके लिए जीएसटी कॉम्पेंसेशन लॉ में संशोधन की जरूरत पड़ेगी। जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में शनिवार को हुई चर्चा की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया, ‘काउंसिल ने जीएसटी लॉ में संशोधन को मंजूरी दी है, जिससे कॉम्पेंसेशन सेस में बढ़ोतरी होगी।’
कारों को जीएसटी के तहत सबसे ऊंचे 28 पर्सेंट वाले स्लैब में रखा गया है। यह भी ध्यान देने लायक बात है कि जीएसटी काउंसिल पहले ही सेस सहित इस पर अधिकतम टैक्स 40 पर्सेंट तय कर चुकी है। 4 मीटर की लंबाई वाली छोटी पेट्रोल और 1,200 सीसी इंजन कैपेसिटी वाली गाड़ियों पर 1 पर्सेंट सेस लगाया गया है।
जबकि इसी लंबाई और 1,500 सीसी कैपेसिटी की डीजल गाड़ियों पर 3 पर्सेंट का सेस तय किया गया है। मिड साइज की बड़ी कारों या एसयूवी पर सेस 15 पर्सेंट है, जिससे जीएसटी लागू होने के बाद कुछ मॉडल्स के दाम में कमी आई थी।1 जुलाई को जीएसटी लागू होने के बाद कई कार कंपनियों ने गाड़ियों की कीमत में कटौती की थी।
हालांकि, कुछ कार कंपनियों को छोटी गाड़ियों के दाम में सेस की वजह से बढ़ोतरी करनी पड़ी थी। सरकार का मानना है कि इनपुट टैक्स क्रेडिट के बिना झंझट भुगतान की वजह से इंडस्ट्री को फायदा होगा, जिससे कुलमिलाकर गाड़ियों की कीमत कम होगी। केंद्र सरकार ने अलग से जीएसटी (कॉम्पेंसेशन टु स्टेट्स फॉर लॉस ऑफ रेवेन्यू) बिल, 2016 भी पेश किया था।
यह बिल इसलिए लाया गया था ताकि लग्जरी और कथित सिन (शराब, तंबाकू आदि) प्रॉडक्ट्स पर टैक्स बढ़ाकर राज्यों को नए टैक्स सिस्टम से होने वाले किसी नुकसान की भरपाई की जा सके। राज्यों को कॉम्पेंसेशन देने का प्रविज़न संविधान संशोधन के जरिये किया गया। इसके मुताबिक, जीएसटी से होने वाले लॉस की भरपाई केंद्र सरकार राज्यों को पांच साल तक करेगी।