जयपुर। राजस्थान के सियासी घमासान में अब राजभवन की भी एंट्री हो गई है। राज्य विधानसभा का सत्र बुलाने को लेकर सीएम गहलोत ने शुक्रवार को अपने तेवर तीखे कर लिए और वे अपने विधायकों के साथ राजभवन आ गए और वहां पर धरना भी दे दिया जिसे उन्होंने सत्याग्रह का नाम दिया।
वहीं राज्यपाल मिश्र ने सत्र आहूत करने को लेकर पहले छह बिन्दुओं पर स्पष्टीकरण भी मांगा। इसका जवाब देने के लिए सीएम गहलोत ने अपने निवास पर रात को कैबिनेट की बैठक बुलाकर मंथन किया। इससे पहले राज्यपाल कलराज मिश्र ने एक बयान में कहा है कि संवैधानिक मर्यादा से ऊपर कोई नहीं होता है। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार की दबाव की राजनीति नहीं होनी चाहिए।
राज्य सरकार की ओर से 23 जुलाई को रात में विधानसभा के सत्र को अत्यन्त ही अल्प नोटिस के साथ आहूत किए जाने की पत्रावली पेश की गई। पत्रावली में गुण दोषों के आधार पर राजभवन की ओर से परीक्षण किया गया और विधि विशेषज्ञों से परामर्श लिया। इसके बाद संसदीय कार्य विभाग को राजभवन ने छह बिन्दुओं पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।
इन छह बिन्दुओं पर मांगा जवाब
- विधानसभा सत्र को किस तिथि से आहूत किया जाना है, इसका उल्लेख केबिनेट नोट में नहीं है और ना ही केबिनेट की ओर से कोई अनुमोदन किया गया है।
- अल्प सूचना पर सत्र बुलाए जाने का न तो कोई औचित्य प्रदान किया गया है और ना ही कोई एजेण्डा प्रस्तावित किया गया है। सामान्य प्रक्रिया में सत्र आहूत किए जाने के लिए 21 दिन का नोटिस दिया जाना आवश्यक होता है।
- यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार का बहुमत है तो विश्वास मत प्राप्त करने के लिए सत्र आहूत करने का क्या औचित्य है।
- राज्य सरकार को यह भी सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए गए हैं कि सभी विधायकों की स्वतन्त्रता एवं उनका स्वतंत्र आवागमन भी सुनिश्चित किया जाए।
- कुछ विधायकों की निर्योग्यता का प्रकरण उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में भी विचाराधीन है। उसका संज्ञान भी लिए जाने के निर्देश राज्य सरकार को दिए गए हैं। साथ ही कोरोना के राजस्थान राज्य में वर्तमान परिपेक्ष्य में तेजी से फैलाव को देखते हुए किस प्रकार से सत्र आहूत किया जाएगा, इसका भी विवरण दें।
- राजभवन की ओर से स्पष्ट रूप से निर्देशित किया गया है कि प्रत्येक कार्य के लिए संवैधानिक मर्यादा और सुसंगत नियमावलियों में विहित प्रावधानों के अनुसार ही कार्यवाही की जाए।