जयपुर। राजस्थान सरकार पर सियासी संकट के बीच सचिन पायलट का खेमा अपने पास 30 कांग्रेसी और कई निर्दलीय विधायकों के समर्थन का दावा कर रहा है। ऐसे में मध्यप्रदेश की तर्ज पर प्रदेश सरकार का तख्ता पलटने की अटकलें और तेज हो गई हैं। सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि रात को ही पायलट अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को सौंप सकते हैं।
ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपनी कुर्सी बचाने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ सकती है, लेकिन इस सियासी उठापटक के बीच जिसके पास विधायकों का संख्या बल अधिक होगा उसी की गुटबाजी कामयाबी रहेगी।
किसके पास कितने विधायक
राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2018 में बीजेपी को शिकस्त देकर सत्ता में आई कांग्रेस के पास वर्तमान में पार्टी के 101 विधायक हैं। ऐसे में यदि 30 विधायक पायलट के समर्थन में अलग हो जाते हैं या इस्तीफा दे देते हैं तो गहलोत गुट के पास महज 71 विधायक बचेंगे। गहलोत खेमे में 6 विधायक वो भी शामिल होंगे जो बीएसपी छोड़कर पिछले साल ही कांग्रेस में शामिल हुए हैं। वहीं, 13 निर्दलीय विधायकों में से भी करीब 10 विधायक उनके खाते में गिने जाते हैं जबकि बीटीपी और सीपीएम के 2-2 और आरएलडी के 1 विधायक को गहलोत गुट में ही शामिल किया जाता है।
बीजेपी के पास संख्या बल और पायलट का गणित
राजस्थान की 200 सदस्यीय विधानसभा में अभी बीजेपी के पास 75 विधायक हैं। इनमें 72 बीजेपी और 3 सहयोगी दल आरएलपी से हैं। अब यदि सचिन पायलट के समर्थक विधायकों की संख्या अगर 30 है और वो इस्तीफे देते हैं तो सदन में विधायकों की कुल संख्या 170 रह जाएगी।
11 विधायक तय करेंगे किसकी बनेगी सरकार
इस गणित के अनुसार 170 सदस्यों वाली विधानसभा में किसी भी पार्टी की सरकार बनाने के लिए 86 विधायकों के बहुमत की जरूरत होगी। बीजेपी के पास वर्तमान में 75 विधायक हैं। ऐसे में उन्हें 11 विधायकों के समर्थन की जरूर पड़ेगी। 13 निर्दलीयों में से कई सचिन पायलट के साथ बताए जा रहे हैं। यदि ऐसा होता है तो ये 11 विधायक तय करेंगे कि किसकी सरकार बनेगी?
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हालांकि पायलट समर्थक विधायकों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस में सेंधमारी के साथ निर्दयलीय और अन्य छोटे दलों के विधायकों पर सबकी नजर रहेगी। हालांकि तब भी कांग्रेस का पलड़ा संख्या बल के हिसाब से बीजेपी से भारी नजर आ रहा है। ऐसे में निर्दलीय विधायकों का मत महत्वपूर्ण होगा। हालांकि मुख्यमंत्री अशाेक गहलोत और उनके मंत्रियों ने एक बार फिर दावा किया है कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार को कोई खतरा नहीं है और उनकी पार्टी और सरकार में किसी तरह का कोई मतभेद नहीं है।