हरिद्वार। पतंजलि आयुर्वेद एक ऐसा ब्रैंड है, जिसके बारे में हम सभी जानते हैं। यह योग गुरु बाबा रामदेव की कंपनी है। दिसंबर 2019 में बाबा रामदेव ने बैंक्रप्ट रूचि सोया का 4350 करोड़ में अधिग्रहण किया था। पतंजलि द्वारा अधिग्रहित किए जाने के बाद इसके शेयर ने पिछले 6 महीने में आसमान की ऊंचाई को छू लिया। लेकिन जून के आखिरी सप्ताह से कंपनी के शेयर में लगातार गिरावट आ रही है। पिछले सात कारोबारी सत्र में इसके शेयर में 30 फीसदी की गिरावट आई है।
जब रूचि सोया का पतंजलि ने अधिग्रहण किया था तो इसके शेयर का भाव काफी कम था। शेयर के परफॉर्मेंस पर ध्यान दें तो NSE पर 20 जनवरी 2020 को इसके शेयर का भाव मात्र 16.20 रुपये था। छह महीने के भीतर 26 जून को इसके शेयर का भाव 1519 रुपये पर पहुंच गया तो अब तक का उच्चतम स्तर है।
इस लिहाज से शेयर में छह महीने में 9400 पर्सेंट की तेजी आई। BSE पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, 24 जुलाई 2019 को इसके शेयर का भाव 3.28 रुपये पर पहुंच गया था। 29 जून को इसके शेयर का भाव 1535 रुपये पर पहुंच गया जो अब तक का उच्चतम स्तर है।
29 जून से इसके शेयर में गिरावट की शुरुआत हुई। NSE पर 26 जून को इसके शेयर का भाव 1519 रुपये था। पिछले आठ कारोबारी सत्र में इसके शेयर का भाव 511 रुपया गिरकर 1000 के करीब पहुंच गया। रोजाना इसका शेयर लोअर सर्किट पर बंद हो रहा है। पिछले दो सप्ताह (आठ कारोबारी सत्र) में इसके शेयर के रेट में 30 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है।
शेयर होल्डिंग पैटर्न
वर्तमान में रूचि सोया का कुल 29.6 करोड़ शेयर है। पब्लिक में इसका केवल 0.97 फीसदी शेयर है और बाकी 99.03 फीसदी शेयर प्रोमोटर के पास है। मतलब प्रोमोटर के पास कुल 28.6 करोड़ शेयर है। रुचि सोया में पतंजलि आयुर्वेद का शेयर 48.20 फीसदी, दिव्य योग मंदिर का शेयर 20.30 फीसदी , पतंजलि परिवहन का शयेर 16.90 फीसदी और पतंजलि ग्रोमोद्योग का शेयर 13.50 फीसदी है।
भारत की टॉप 100 कंपनियों की लिस्ट में शामिल
जब रुचि सोया का शेयर टॉप पर था तो यह भारत की टॉप 100 कंपनियों की लिस्ट में शामिल हो गई थी। इसका मार्केट कैप 45 हजार करोड़ के करीब पहुंच गया था। मार्केट कैप के लिहाज से यह कंपनी टाटा मोटर्स और टाटा स्टील जैसी दिग्गज कंपनियों के बराबर पहुंच चुकी थी, लेकिन दो सप्ताह के भीतर इसमें भारी गिरावट आई है।
शेयर में गिरावट की वजह क्या है?
दरअसल रुचि सोया में शेयर होल्डिंग पैटर्न ही इसके लिए मुसीबत बन गई है। वर्तमान में लिस्टिंग गाइडलाइन्स के मुताबिक, एक कंपनी को कम से कम 25 पर्सेंट शेयर पब्लिक में रखना होगा। लेकिन इसके साथ ऐसा नहीं है। पिछले दिनों पतंजलि आयुर्वेद को लेकर रिवर्स मर्जर की बात सामने आई थी।