नई दिल्ली। अगले वित्त वर्ष भारतीय अर्थव्यवस्था एक बार फिर रफ्तार पकड़ सकती है। दो ग्लोबल रेटिंग एजेंसियों के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की आर्थिक विकास दर 8.5-9.5 प्रतिशत तक पहुंच सकती है, जबकि इस वित्त वर्ष (2020-21) भारत के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में पांच प्रतिशत गिरावट की आशंका जताई गई है।
फिच का कहना है कि 2021-22 में भारत की विकास दस 9.5 प्रतिशत रह सकती है। इस एजेंसी ने 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था के पांच प्रतिशत सिकुडने का अनुमान लगाया है। फिच की तरफ से बुधवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना वायरस संकट का संकट गहराने से पहले ही अर्थव्यवस्था में कमजोरी के संकेत मिलने लगे थे।
फिच ने अपने एशिया-प्रशांत ऋण साख परिदृश्य में कहा है, ‘कोविड-19 महामारी ने भारत का आर्थिक वृद्घि परिदृश्य कमजोर किया है। इसकी एक अन्य प्रमुख वजह सरकार पर भारी कर्ज के चलते कई चुनौतियां पैदा होना है।’ हालांकि इस रेटिंग एजेंसी ने यह भी कहा कि वैश्विक महामारी से उबरने के बाद भारत की जीडीपी वृद्घि दर वापस पटरी पर लौटने की उम्मीद है। अगले साल भारत की आर्थिक विकास दर 9.5 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है। यह ‘बीबीबी’ श्रेणी से अधिक होगी। लेकिन, इसके लिए फाइनेंशियल सेक्टर की सेहत बिगड़ने से बचाना होगा।
फिलहाल चुनौतियां बरकरार
देश में कोरोना वायरस का तेज संक्रमण रोकने के लिए 25 मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन लागू किया गया। इसे कई बार विस्तार देकर 30 जून तक बढ़ाया गया है। हालांकि, चार मई से लॉकडाउन के नियमों में कई तरह की राहत दी गई है। लेकिन, देश में फिलहाल कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार और तेजी से बढ़ रही है।
एसएंडपी ने भी जगाई उम्मीद
ग्लोबल रेटिंग कंपनी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एसएंडपी) ने भी बुधवार को कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान भारत की जीडीपी में नकारात्मक वृद्घि (गिरावट) देखने के बाद वित्त वर्ष 2021-22 में आर्थिक वृद्घि दर तेज सुधार के साथ 8.5 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच सकती है। एजेंसी ने भारत का आउटलुक ‘स्टेबल’ रखते हुए ‘बीबीबी’ रेटिंग बरकरार रखी है। हालांकि एसएंडपी ने इस बात के लिए जरूर चेताया है कि कमजोर फाइनेंशियल सेक्टर और लेबर मार्केट इस ग्रोथ को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
एसएंडपी ने हाल ही में कहा था कि भारत सरकार ने कोरोनावायरस के खिलाफ जो कदम उठाए हैं, वे काफी अहम हैं, लेकिन आमदनी घटने की वजह से वित्तीय स्थिति कमजोर हो सकती है। इस रेटिंग एजेंसी ने कहा था कि आमदनी घटने और कोरोना वायरस की वजह से वित्त वर्ष 2020-21 में राजकोषीय घाटा बढ़कर जीडीपी का 11 प्रतिशत तक जा सकता है।