लॉकडाउन में आंशिक राहत से मई में बेरोजगारी दर घटी : रिपोर्ट

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नई दिल्ली। कोरोना के कारण देश की अर्थव्यवस्था की कमर पूरी तरह टूट गई है। इसके कारण बेरोजगारी की समस्या लगातार विकराल होते जा रही है। 17 मई को समाप्त हुए सप्ताह में देश में बेरोजगारी दर 24 फीसदी थी। हालांकि लॉकडाउन में आंशिक राहत से श्रम भागीदारी में तेजी आई है। 26 अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह में यह दर 35.40 फीसदी थो जो बढ़कर 38.80 फीसदी पर पहुंच गई है। यह रिपोर्ट सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकॉनमी (CMIE) की तरफ से जारी की गई है।

मई का आधा महीना गुजर चुका है और बेरोजगारी दर अप्रैल के बराबर बनी हुई है। हालांकि लॉकडाउन के दूसरे चरण से ग्रामीण भारत में आंशिक राहत की शुरुआत की गई थी, लेकिन अभी तक राहत का कोई सकारात्मक असर नहीं दिख रहा है।

शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी की समस्या ज्यादा गंभीर
CMIE की रिपोर्ट में कहा गया है कि शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी की समस्या ज्यादा गंभीर है। शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 27 फीसदी है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह दर 23 फीसदी है। वहीं श्रम भागीदारी की बात करें तो शहरी क्षेत्रों में यह 34 फीसदी है और ग्रामीण क्षेत्रों में 41 फीसदी है।

प्रवासी मजदूरों का जाना गंभीर समस्या
CMIE जो रिपोर्ट तैयार करती है उसमें अमूमन सैम्पल साइज 1.17 लाख लोगों का होता है। हालांकि लॉकडाउन के बाद से सैम्पल साइज घटकर मात्र 11-12 हजार रह गया है। इन लोगों से फोन पर बात के जरिए रिपोर्ट तैयार की जा रही है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्रवासी मजदूरों के घर जाने का असर इकॉनमी पर गंभीर रूप से दिखाई देगा।

आर्थिक गतिविधि को शुरू करना आसान नहीं होगा
लॉकडाउन से राहत मिलने के बावजूद आर्थिक गतिविधि में शुरुआत में उतनी तेजी नहीं दर्ज की जाएगी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि लोगों के मन में डर का मौहाल है। आने वाले दिनों में सरकार की सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक गतिविधि को शुरू करना होगा।