महाभारत का योद्धा अश्‍वत्‍थामा, जो श्राप के कारण आज भी जिंदा है!

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महाभारत’ में ऐसे कई रहस्‍यमयी किरदार हैं, ज‍िनके बारे में लोगों की द‍िलचस्‍पी आज भी बनी हुई है। एक ऐसा ही क‍िरदार है अश्‍वत्‍थामा का। गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्‍वत्‍थामा के सिर पर जन्‍म के साथ ही मण‍ि थी। वह इतना बलवान था कि महायुद्ध को एक दिन में भी खत्‍म कर सकता था। बीआर चोपड़ा की ‘महाभारत’ में यह किरदार प्रदीप रावत ने निभाया था।

महाभारत’ और ‘रामायण’ के री-टेलिकास्‍ट ने पौराण‍िक कथाओं में लोगों की दिलचस्‍पी बढ़ा दी है। बीआर चोपड़ा की ‘महाभारत’ में कर्ण के वध ने जहां दर्शकों को दुखी किया है, वहीं आगे अब एक ऐसे किरदार में लोगों की दिलचस्‍पी बढ़ रही है, जिसके लिए समझा जाता है कि वह आज भी जिंदा है! यह किरदार है गुरु द्रोणाचार्य के बेटे अश्‍वत्‍थामा का।

प्रदीप रावत बने थे ‘अश्‍वत्‍थामा’
‘महाभारत’ सीरियल में ‘अश्‍वत्‍थामा’ का किरदार प्रदीप रावत ने निभाया है। प्रदीप बॉलिवुड और साउथ इंडियन फ‍िल्‍म इंडस्‍ट्री के जानेमाने कलाकार हैं। बॉलिवुड में ‘गजनी’ के विलेन के रूप में उन्‍होंने खूब पॉप्‍युलैरिटी बटोरी। रवि चोपड़ा और बीआर चोपड़ा अश्‍वत्‍थामा के किरदार को लेकर बहुत गंभीर थे, क्‍योंकि यह एक ऐसा रहस्‍यमयी पात्र है जिसे यदि रोका नहीं जाता तो वह पांडवों का नाश कर देता।

एक दिन में युद्ध खत्‍म करने की थी क्षमता
गुरु द्रोणाचार्य ने अपने बेटे अश्वत्थामा को हर विद्या में पारंगत किया था। अश्‍वत्‍थामा इतना शक्‍त‍िशाली था कि वह एक दिन में ही युद्ध खत्‍म कर सकता था। लेकिन श्रीकृष्ण ने ऐसा होने नहीं दिया। अश्वत्थामा के नाम के पीछे भी दिलचस्‍प किस्‍सा है। बताया जाता है कि जब उसका जन्म हुआ लिया तब उसने अश्व यानी घोड़े की तरह घोर शब्द किया। तब आकाशवाणी हुई कि यह बच्‍चा अश्वत्थामा के नाम से प्रसिद्ध होगा।

अर्जुन ने प्राण दान दिया, मण‍ि छीन ली
कथाओं के मुताबिक, अश्वत्थामा के सिर पर जन्म से ही एक मणि थी। अर्जुन ने अश्‍वत्‍थामा को युद्ध में प्राण दान दे दिया था, लेकिन सजा के तौर पर उसकी मणि छिन ली और बाल काट लिए। माना जाता है कि अश्‍वत्‍थामा आज भी जिंदा है। ‘महाभारत’ सीरियल में भी इस प्रसंग को दिखाया गया। असल अवत्‍थामा को भगवान कृष्‍ण का श्राप है।

…इसलिए श्रीकृष्‍ण ने दिया श्राप
दरअसल, ‘महाभारत’ के युद्ध में अश्वत्‍थामा ने ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया था। लाखों लोगों का इस कारण संहार हुआ। भगवान कृष्‍ण इस कारण बहुत क्रोधित हुए और उन्‍होंने अश्वत्थामा के श्राप दिया कि इतने वधों का पाप ढोता हुआ वह 3 हजार साल तक निर्जन स्थानों में भटकता रहेगा। यह भी कि उसके शरीर से हमेशा रक्त की दुर्गंध आती रहेगी और वह रोगों से पीड़‍ित रहेगा।

क्‍या अरब चला गया था अश्‍वत्‍थामा?
कई कथाओं में इसके बाद भी अश्‍वत्‍थामा का जिक्र आता है। बताया जाता है कि इसके बाद वह रेगिस्तानी इलाकों में अरब चला गया था। उत्तर प्रदेश में एक मान्यता है कि अरब जाकर सने कृष्ण और पांडवों के धर्म को नष्ट करने की प्रतिज्ञा ली थी।

आज भी है आश्‍वत्‍थामा कुंड
एक तर्क यह भी है कि पांडवों के पुत्रों की हत्या के बाद जब अश्वत्थामा भागा तब भीम ने उसका पीछा किया। ऐसे में वह भागकर अष्टभा क्षेत्र पहुंचा, जो आज गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा के पास स्थित है। यहां दोनों के बीच गदा युद्ध हुआ। वहां दोनों के युद्ध के दौरान जमीन पर गदा टकराने से भीम कुंड और अश्‍वत्‍थामा कुंड भी हैं।