कोटा। नवजात बच्चों की मौतों के मामले में सुर्खियों में रहे जेके लोन अस्पताल में एक बार फिर लापरवाही का कोरोना संक्रमण दिखा। अस्पताल में भर्ती पांच प्रसूताएं प्रसव के बाद रविवार को कोरोना पॉजिटिव आ गई। जबकि पांचों महिलाएं अलग-अलग क्षेत्र की निवासी है। अस्पताल में प्रसूताओं के एक साथ पॉजिटिव आने के बाद जिला प्रशासन में हड़कम्प मच गया। जेके लोन अस्पताल में पिछले एक माह के अंदर भर्ती आठ प्रसूताएं अब तक कोरोना पॉजिटिव आ गई। लगातार प्रसूताओं के कोरोना पॉजिटिव आने से अस्पताल कोरोना का हॉट स्पॉट बन गया।
पहला केस 19 अप्रेल को
- अस्पताल में पहली बार 19 अप्रेल को मकबरा निवासी एक प्रसूता कोरोना
पॉजिटिव आई थी, लेकिन उसे रातों-रात कोविड नए अस्पताल में रैफर कर दिया। - 22 अप्रेल को हॉट स्पॉट एरिया चन्द्रघटा निवासी प्रसूता कोरोना पॉजिटिव मिली।
- 29 अप्रेल को रंगपुरा क्षेत्र के संजय नगर निवासी प्रसूता कोरोना
पॉजिटिव मिली। उसे जांच रिपोर्ट आने से पहले ही घर भेज दिया था। - 2 मई को मंडाना निवासी गर्भवती महिला कोरोना पॉजिटिव पाई।
- 10 मई को फिर एक साथ गड़ेपान, महावीर नगर प्रथम, दादाबाड़ी, बजाजखाना व
बारां निवासी प्रसूताएं कोरोना पॉजिटिव पाई गई।
ऐसे फैला संक्रमण
सूत्रों ने बताया कि हॉट स्पॉट मकबरा व चन्द्रघटा एरिया से लगातार प्रसूताओं के आने के कारण अस्पताल में कोरोना का संक्रमण फैल गया। अस्पताल प्रशासन उसे सही तरीके से सेनेटाइज नहीं कर सका। लैबर रुम व वार्ड में भर्ती प्रसूताओं को दूसरे वार्ड में शिफ्ट करना चुनौतीपूर्ण कार्य है। इसी कारण अस्पताल प्रशासन को दिन में तीन बारअस्पताल को सेनेटाइज करना था, लेकिन दो बार भी सही तरीके से नहीं कर पा रहा। इस कारण कोरोना का संक्रमण फैलता गया। इससे प्रसूताएं संक्रमित होती जा रही।
राज्य सरकार ने हाल में एक आदेश जारी किया है कि अस्पताल में भर्ती प्रसूताओं की कोविड़ की जांच की जाएगी। उसके बाद अस्पताल प्रशासन इनकी कोविड़ की जांच करा रहा। इसमें यह प्रसूताएं कोरोना पॉजिटिव सामने आ रही
यहां लागू क्यों नहीं की मोबिलिटी
जेके लोन अस्पताल में लगातार प्रसूताएं कोरोना पॉजिटिव आने के बावजूद जिला प्रशासन की ओर से यहां मोबिलिटी लागू नहीं की गई। जबकि नियमानुसार किसी भी क्षेत्र में कोरोना पॉजिटिव आने के बाद मोबिलिटी लागू कर वहां सर्वे, सेनेटाइज का कार्य होता है, लेकिन पिछले एक माह से अस्पताल में लगातार प्रसूताएं कोरोना पॉजिटिव आने के बाद भी मोबिलिटी लागू नहीं की गई।
सेनेटाइज करना एक चुनौतीपूर्ण
इनका यह कहना- अस्पताल में लैबर रुम व वार्ड में भर्ती प्रसूताओं के बीच सेनेटाइज करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। उन्हें दूसरे वार्ड में शिफ्ट करने की समस्या रहती है। वैसे अस्पताल को दो बार सेनेटाइज कर रहे है, लेकिन संक्रमण खत्म नहीं हो रहा। अस्पताल को क्वारंटाइन के लिए प्राचार्य को पत्र लिखेंगे। _डॉ. एससी दुलारा, अधीक्षक, जेके लोन अस्पताल