नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कारण एरोप्लेन, ट्रांसपोर्ट सहित दूसरे कई उद्योगों के प्रभावित होने से मार्च के पहले दो सप्ताह में देश में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग 11 फीसदी घट गई। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2019 में देश में 1.95 करोड़ टन पेट्रोलियम उत्पाद बिके थे। यदि यह मान लिया जाए कि मार्च 2019 के दोनों पखवाड़ों (15 दिन) में बिक्री लगभग बराबर रही, तो इसका मतलब यह हुआ कि मार्च 2019 के पहले दो सप्ताह में करीब एक करोड़ टन पेट्रोलियम उत्पाद देश में बिके थे।
देश की सबसे बड़ी तेल मार्केटिंग कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) ने एक बयान में कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री पर कोरोना वायरस का नकारात्मक असर पड़ा है। मार्च 2020 के पहले पखवाड़े में इनकी बिक्री 10-11 फीसदी घट गई है।
औद्योगिक सुस्ती के कारण घटी मांग
पाबंदियों, ट्रैवल एडवायजरी और औद्योगिक सुस्ती के कारण पेट्रोलियम उत्पादों की मांग घटी है। आलोच्य अवधि में साल दर साल आधार पर डीजल की बिक्री 13 फीसदी से ज्यादा घट गई। विमान ईंधन की बिक्री 10 फीसदी से ज्यादा घटी। पेट्रोल की बिक्री में 2 फीसदी से ज्यादा गिरावट आई है। आईओसी ने कहा कि बंकर फ्यूल (पानी के जहाजों में उपयोग होने वाला पेट्रोलियम ईंधन) की बिक्री भी करीब 10 फीसदी घट गई है।
क्रूड खपत का 6-8 फीसदी हिस्सा विमानन सेक्टर में
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा कि मांग में पहले से ही कमी देखी जा रही थी। अब कोरोना वायरस की महामारी के कारण मांग और घट गई है। देश में कच्चे तेल की कुल खपत में से 6-8 फीसदी हिस्सा एरोप्लेन सेवा उद्योग को जाता है। विभिन्न देश अंतरराष्ट्रीय और घरेलू यात्रा पर पाबंदी लगाते जा रहे हैं। इससे आने वाले समय में बिक्री और गिर सकती है।
यदि अगले 2-3 महीने में वायरस संक्रमण को रोका न जा सका, तो हालत और खराब होगी। क्रिसिल ने कहा कि अगले कारोबार साल 2020-21 में पेट्रोलियम उत्पादों की खपत की वृदि्ध दर घटकर 2-3 फीसदी पर सिमट सकती है। उधर दिग्गज निवेश बैंक मोर्गन स्टेनले ने आगामी कारोबारी साल के लिए भारत की ईंधन मांग का अनुमान 5 फीसदी घटा दिया है।
बिक्री बढ़ने का दिया था अनुमान
पेट्रोलियम मंत्रालय के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (पीपीएसी) ने कोरोना वायरस का प्रकोप शुरू होने से पहले कहा था कि 2020-21 में पेट्रोलियम ईंधन की मांग बढ़कर 22.28 करोड़ टन पर पहुंच सकती है, जो 2019-20 में अनुमानित 21.6 करोड़ टन थी। पीपीएसी ने कहा था कि इस दौरान विमान ईंधन की बिक्री 81.9 लाख टन से बढ़कर 87 लाख टन पर पहुंच सकती है। इसी तरह डीजल की मांग 8.43 करोड़ टन से बढ़कर 8.65 करोड़ टन रह सकती है। पेट्रोल की मांग 3.1 करोड़ टन से बढ़कर 3.34 करोड़ टन पर पहुंचने का अनुमान था।