कोटा। निकट समय मे मूंग की कोई नई फसल आने वाली नहीं है तथा राजस्थान की मंड़ियों में आवक का दबाव अब टूटने लगा है, क्योंकि फसल में पोल आने से किसानों का माल पहलें ही निबट गया है तथा कच्ची मंड़ियों के माल बड़ी दाल मिलों ने पहलें ही खरीद लिये है, जिससे यहाँ से क़ीमतों में 400/500 रुपये की और तेजी लग रही है।
मूंग मेंं आई पिछले एक पखवाडे के अंतराल भारी तेजी के बाद गत चार दिनों के अंतराल 300 रुपये का मंदा आ गया था, अब नीचे वाले भाव पर बाजार में बेचू कम आ रहे है तथा दाल मिलों में भी माल नहीं होने से थोड़ी सी पूछपरख आते ही 100 रुपये बढ़ाकर बढ़िया मांग 7600/7700 रुपये बोलने लगे है।
जबकि वास्तविकता यह है कि मूंग का उत्पादन इस बार औसतन 40 फ़ीसदी घट जाने एवं आयात पड़ता महंगा होने से चौतरफा शॉर्टेज की स्थिति बन गयी है। रुपया कमजोर पड़ने एवं अतंर्राष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे भाव होने से बढ़िया मूंग 8300/8400 रुपये प्रति क्विंटल आकर पड़ रही है, जिससे यहां पिछले तीन माह के दौरान बाहर से कोई विशेष माल नहीं आया है, तथा दो माह पूर्व जो पुरानी यूपी-बिहार की मूंग 5600/5700 रुपये प्रति क्विंटल बिकी थी, वह अब बढ़ते हुए वर्तमान में 7300/7400 रुपये बिक चुकी है, जबकि चुनिन्दा माल 7500 रुपये भी सुने गए।
इसका मुख्य कारण यह था कि यूपी, बिहार, झारखंड एवं एमपी का माल 90 प्रतिशत कट चुका है, जबकि नई फ़सल के पांच माह से पहले उत्पादक राज्यों में आने की उम्मीद नही है।
दूसरी ओर अक्टूबर में तैयार हुई शेखावटी, किशनगढ़, केकडी, मेडता, दौसा, डीडवाना, खाटू, नागौर लाइन की फसल चौपट हो गयी है। जिससे एवरेज माल भी इस बार दिल्ली सहित उत्तर प्रदेश की मंड़ियों में कम आया।
जानकार मानतें है कि अभी ज्यादा बिक्री नही है क्योकि दाल छिलका व धोया सब्जियों के दबाव से नहीं बिक रही है। इन सबके बावजूद बाहर के माल के भारतीय बाज़ारों में पडतें में नहीं है। अतः यहां से फिर 400/500 रुपये की तेजी लग रही है।,