हाई टेक होगा ई-वे बिल सिस्टम, इंस्पेक्टर राज नहीं हो सकेगा हावी

    0
    1159

    ‘इस सिस्टम में टेक्नोलॉजी का ज्यादा सहारा लेने की कोशिश की जा रही है।’ उन्होंने कहा कि इससे यह पक्का होगा कि ई-वे बिल से जुड़ा समूचा डेटा इसमें दर्ज हो जाए और जरूरी पड़ने पर ऑटोमैटिकली पढ़ा जा सके।

    नई दिल्ली। जीएसटी के तहत प्रस्तावित ई-वे बिल सिस्टम में टेक्नोलॉजी का भरपूर इस्तेमाल किया जाएगा। टेक्नोलॉजी के उपयोग से यह पक्का किया जाएगा कि माल की आवाजाही पर अच्छी तरह निगरानी हो और इंस्पेक्टर राज के चलते राजमार्गों पर गुड्स ट्रैफिक सुस्त न हो जाए।

    पहली जुलाई को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स लागू होने के बाद कमर्शियल गुड्स का मूवमेंट तेज होने की बातें की जा रही हैं क्योंकि राज्यों ने एंट्री चेक पोस्ट्स हटा दी हैं।

    जीएसटी के नियमों के अनुसार, 50000 रुपये से ज्यादा मूल्य के सभी माल के ट्रांसपोर्टेशन के लिए ई-वे बिल की जरूरत होगी।  इंडस्ट्री को डर है कि ई-वे बिल से इंस्पेक्टर राज की वापसी हो जाएगी और चेक पोस्ट्स हटाने से हासिल लाभ खत्म हो जाएगा।

    एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘इस सिस्टम में टेक्नोलॉजी का ज्यादा सहारा लेने की कोशिश की जा रही है।’ उन्होंने कहा कि इससे यह पक्का होगा कि ई-वे बिल से जुड़ा समूचा डेटा इसमें दर्ज हो जाए और जरूरी पड़ने पर ऑटोमैटिकली पढ़ा जा सके।

    राज्यों और केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अधिकारियों का एक समूह ई-वे बिल सिस्टम में टेक्नोलॉजी और डिजाइन पर काम करेगा। ई-वे बिल का प्रस्ताव इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट वाले एक परमिट की तरह किया गया है, जिसमें किसी गाड़ी पर लदे माल का ब्योरा होगा।

    प्रस्तावित फ्रेमवर्क के अनुसार, जीएसटी नेटवर्क से ई-वे बिल जेनरेट होगा, जो ट्रांसपोर्टेशन की दूरी के हिसाब से अधिकतम 15 दिनों के लिए वैध होगा। एक दिन का परमिट 100 किमी़ तक के लिए होगा, जबकि 15 दिनों के परमिट से 1000 किमी़ से ज्यादा दूरी तय की जा सकेगी।

    ई-वे बिल या माल की जांच करने के लिए टैक्स ऑफिसर दखल दे सकते हैं। वे यह काम गुड्स के सभी इंटरस्टेट और इंट्रास्टेट मूवमेंट के मामलों में कर सकते हैं।

    ई-वे बिल के साथ आरएफआईडी या एक क्यूआर कोड जोड़ने से गाड़ी को देर तक रोके बिना चेकिंग करने में आसानी होगी। अधिकारी ने कहा, ‘चेकिंग हाथ में लिए गए डिवाइसेज या आरएफआईडी चिप रीडर्स के जरिए हो जाएगी।’

    ई-वे बिल से जुड़े नियमों को अभी जीएसटी काउंसिल ने मंजूरी नहीं दी है। उम्मीद है कि 5 अगस्त को काउंसिल की अगली मीटिंग में इस पर विचार किया जाएगा।