हेल्थ टिप्स / यौन दुर्बलता दूर करती है अश्वगंधा, जानिए कैसे

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कोटा। भागती-दौड़ती जिंदगी में काम के टेंशन, स्ट्रेस और परेशानी के कारण पुरुषों की सेक्शुअल डिजायर यानी सेक्स करने की इच्छा कम होती जा रही है। इस परेशानी से छुटकारा पाने के लिए बहुत से लोग जहां वायग्रा जैसी दवाइयों का सेवन करने लगते हैं, वहीं कुछ सेक्स थेरपिस्ट और डॉक्टर की मदद लेते हैं।

आयुर्वेदिक डॉक्टर एवं वैद्य सुधींद्र श्रृंगी आपको बता रहे हैं एक नैचरल और आयुर्वेदिक नुस्खा जिससे पुरुषों की सेक्स लाइफ हो जाएगी बेहतर और वह आयुर्वेदिक हर्ब है- अश्वगंधा। अश्वगंधा पूरी तरह से सेफ है और इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है।

जैसे-जैसे पुरुषों की उम्र बढ़ने लगती है, खासकर 30 साल की उम्र के बाद तो सेक्स हॉर्मोन टेस्टोस्टेरॉन का लेवल तेजी से घटने लगता है। ऐसे में अश्वगंधा के सेवन से टेस्टोस्टेरॉन के लेवल को बढ़ाने में मदद मिलती है। साल 2013 की एक स्टडी में यह बात सामने आयी थी कि अश्वगंधा के जरिए इन्फर्टाइल यानी नपुंसक पुरुषों में भी टेस्टोस्टेरॉन की संख्या में नई जान फूंकने में मदद मिली थी।

अश्वगंधा की मदद से पुरुषों का लिबिडो यानी कामेच्छा को बेहतर बनाने में मदद मिलती है जिससे स्पर्म काउंट अपने आप बढ़ने लगता है। एक स्टडी के दौरान पुरुषों के एक ग्रुप को 90 दिनों तक अश्वगंधा सप्लिमेंट्स दिए गए जबकि दूसरे ग्रुप के पुरुषों को एक दूसरी प्रायौगिक दवा दी गई। ट्रायल के बाद पता चला कि जिन पुरुषों को अश्वगंधा सप्लिमेंट्स दिया गया था उनके स्पर्म काउंट में 167 प्रतिशत की बढोतरी हुई।

अश्वगंधा यानी कामोत्तेजक औषधि है। सदियों से इस पौधे को सबसे पावरफुल सेक्शुअल स्टिमुलेंट यानी उत्तेजक के रूप में देखा जाता रहा है। आयुर्वेदिक और हर्बल कामोत्तेजक उत्पादों का निर्माण करने में अश्वगंधा को मुख्य इन्ग्रीडिएंट के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।

जब पुरुष अश्वगंधा का सेवन करते हैं तो शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड का उत्पादन बढ़ता है जिससे खून के जरिए जेनिटल्स यानी जननांगों तक यह पहुंच जाता है। इससे सेक्शुअल डिजायर यानी सेक्स ड्राइव यानी कामेच्छा और संतुष्टि में बढ़ोतरी होती है।

सेक्स ड्राइव घटने और सेक्शुअल परफॉर्मेंस में कमी आने का सबसे बड़ा कारण है स्ट्रेस। अश्वगंधा का पौधा स्ट्रेस लेवल को कम करने में मदद करता है। जब स्ट्रेस लेवल अधिक होता है तो ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है और जब बीपी बढ़ता है तो खून का प्रवाह धमनियों में कम होने लगता है जिससे इम्पोटेंस यानी नपुंसकता आने लगती है।

अश्वगंधा, ऐड्रिनल ग्लैंड्स को मजबूत बनाता है। ये वो ग्लैंड्स हैं जिसमें कॉर्टिसोल यानी स्ट्रेस हॉर्मोन का उत्पादन होता है। अश्वगंधा के सेवन से 60 महीने में स्ट्रेस और कॉर्टिसोल का लेवल 27 प्रतिशत तक कम हो सकता है।

ऐसे करें अश्वगंधा को यूज
आप चाहें तो सोने से ठीक पहले अश्वगंधा के पाउडर को गर्म दूध में शहद के साथ मिलाकर पी सकते हैं। या फिर अश्वगंधा के सप्लिमेंट्स का भी सेवन कर सकते हैं।