बिजली बिलों में KEDL का घोटाला, स्वायत्त शासन मंत्री धारीवाल ने माना

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कोटा। स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने निजी बिजली कंपनी केईडीएल पर बिलों और वीसीआर में भारी गड़बड़ी करने के आरोप लगाए हैं। उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा, सरकार ने नगर निगम और नगर विकास न्यास के बिलों की जांच कराई तो बड़ी गड़बड़ी मिली। पुलिस इसकी जांच कर रही है।

धारीवाल ने कहा, निजी बिजली कंपनी ने गलत रीडिंग बनाकर दो से चार गुना तक बढ़ाकर बिल भेजे। इस कंपनी से पहले नगर निगम का सालभर का बिजली का बिल 10 करोड़ रुपए आता था और अब वह 20 करोड़ हो गया है। इस तरह नगर विकास न्यास का बिल भी बढ़ गया है।

कमेटी बनाई पर बैठक नहीं हुई
लगातार शिकायतें आने के बाद जयपुर विद्युत वितरण निगम लि. ने एक कमेटी बनाई जिसे वीसीआर भरने और बिलों की शिकायत का निस्तारण करना था, लेकिन उसकी एक भी बैठक नहीं हुई। उसके बाद फिर 28 नवम्बर 2019 को एक और कमेटी बनाई गई है। इस आदेश में यह भी उल्लेख है कि वीसीआर से संबंधित विवाद केईडीएल के द्वारा सुने जा रहे हैं यह प्रावधानों का उल्लंघन है।

इससे कमेटी के गठन से पहले केईडीएल ने जिन विवादों का निस्तारण किया वह अवैध है। ऐसी स्थिति में प्रावधानों के विरूद्ध वसूली गई राशि अवैध है जिसे उपभोक्ताओं को लौटाया जाना चाहिए। वीसीआर के तहत केईडीएल ने जो वसूली की है वह अवैध श्रेणी में आती है। वीसीसी की प्रक्रिया में 14 प्रावधानों की पालना करना जरूरी है, जिनका पालन केईडीएल ने नहीं किया।

इसलिए प्रक्रिया की पालना नहीं करने के कारण केईडीएल की ओर से भरी गई सभी वीसीआर अवैध हैं।धारीवाल ने जांच के दस्तावेज दिखाते हुए बताया कि किशोर सागर पर विद्युत कनेक्शन का वास्तविक उपभोग व मीटर के आधार पर बिल 35 हजार 400 रुपए बनता है, लेकिन केईडीएल ने 1 करोड़ 9 हजार का बिल भेज दिया।

इसी तरह 257 स्थानों पर स्वयं के स्तर पर विद्युत कनेक्शन स्थापित करके इनके बिल नगर निगम को भिजवा दिए। इन कनेक्शनों के लिए नगर निगम ने कभी आवेदन ही नहीं किया। कंसुआ आवासीय योजना में विद्युत कनेक्शन उपलब्ध होने के बाद भी दो जगह अतिरिक्त कनेक्शन स्थापित करके एक करोड़ 10 लाख का बिल जारी कर दिया, जबकि पूरी कॉलोनी का बिल 8 लाख 61 हजार रुपए ही आया।

केईडीएल ने जनवरी से दिसम्बर 2018 तक 29 करोड़ के बिल प्रस्तुत किए गए। इनमें से 129 बिलों में अप्रत्याशित रूप से मनमानी तरीके रीडिंग दिखाकर बिल जारी किए गए। इन बिलों में 36 लाख अधिक यूनिट देकर 2.88 करोड़ के अधिक राशि के बिल अवैध रूप से भेजे गए। इसके अतिरिक्त 32 कनेक्शन ऐसे पाए गए जिनमें बिल वास्तविक रीडिंग के आधार पर देने के बजाय प्रोविजनल आधार पर जारी कर दिए।

इन बिलों में वास्तविक रीडिंग के आधार पर बिल बनाने पर 80 लाख यूनिट का अंतर आता है। केईडीएल 2016-17 से कार्यरत है। तब से अब तक रोड लाइट के पेटे में 60 करोड़ के बिल दिए गए हैं। इनकी जांच की जा रही है। तब तक के लिए नगर विकास न्यास और नगर निगम के स्ट्रीट लाइटों के बिलों के भुगतान पर रोक लगा दी है।

सरकार ने नगर निगम, नगर विकास न्यास और आवासन मंडल को एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए गए हैं। पुलिस इस परिवाद की जांच कर रही है। एफआईआर के लिए नगर निगम के 200 पृष्ठों के दस्तावेज पुलिस को सौंपे हैं। धारीवाल ने कहा, तीन साल से शिकायतें मिल रही थी कि बिजली के बिलों में तीन चार गुना राशि जोड़कर गलत रीडिंग बताकर बिल बन रहे हैं। इस पर स्वायत्त विभाग ने अतिरिक्त मुख्य अभियंता को कोटा भेजा।

उन्होंने नगर विकास न्यास और नगर निगम के विद्युत इंजीनियर को साथ लेकर जो जांच की गई उसमें केईडीएल की गड़बड़ी सामने आई। इस जांच का पुन: परीक्षण भी कराया गया। परीक्षण में भी यह पाया गया कि बढ़ा चढ़ाकर बिल दिया जा रहा है। इस बात की भी जांच की जा रही है कि कपंनी ने कितनी बिजली खरीदी और कितनी के बिल भेजे।