नयी दिल्ली। संसद ने बृहस्पतिवार को कराधान विधि संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी, जिसमें कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की दर में भारी कमी की गई और विनिर्माण क्षेत्र में उतरने वाली नई कंपनियों को 15 प्रतिशत की घटी दर से कर का प्रावधान किया गया है।
हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया है कि सॉफ्टवेयर विकास, खनन कंपनियों और पुस्तक छपाई का काम विनिर्माण क्षेत्र की घटी दर के लिये पात्र नहीं होगा। राज्यसभा ने इस कराधान विधि संशोधन विधेयक को चर्चा के बाद बिना किसी बदलाव के ध्वनिमत से लौटा दिया। लोकसभा इसे पहले ही परित कर चुकी है। यह विधेयक इस संबंध में पहले लाये गये अध्यादेश का स्थान लेगा।
उच्च सदन में संशोधन विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ऐसी गतिविधियों की जो विनिर्माण के दायरे में नहीं आती हैं उनकी एक नकारात्मक सूची बनाई गई है। इस सूची में शामिल गतिविधियों को चलाने वाली कंपनियों को 15 प्रतिशत घटी कर दर का लाभ नहीं मिलेगा। विधेयक में एक अक्टूबर, 2019 के बाद विनिर्माण क्षेत्र में उतरने वाली और 2023 तक उत्पादन कार्य शुरू करने वाली कंपनियों को 15 प्रतिशत की घटी दर से कर देने का प्रावधान किया गया है।
कंप्यूटर सॉफ्टवेयर विकास चाहे वह किसी भी तरीके से अथवा किसी भी मीडिया में हो, खनन, मार्बल ब्लाक में परिवर्तन, सिलेंडर में गैस भरने का काम, पुस्तकों की छपाई और सिनेमाटोग्राफी फिल्म के उत्पादन कार्य को विनिर्माण की नकारात्मक सूची में रखा गया है। इन क्षेत्रों में उतरने वाली विनिर्माण कंपनियों को घटी कर दर का लाभ नहीं मिल सकेगा। हालांकि, उनके समक्ष 22 प्रतिशत कर दर को अपनाने का विकल्प होगा।
वित्त मंत्री ने 20 सितंबर को कंपनियों को कर में बड़ी राहत देते हुये कॉरपोरेट कर को 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि जो भी कंपनियों किसी तरह की अन्य छूट नहीं लेंगी उन्हें घटी कर दर का लाभ दिया जायेगा। इसी प्रकार विनिर्माण क्षेत्र में एक अक्टूबर के बाद उतरने वाली नई कंपनियों को केवल 15 प्रतिशत की दर से कर देने की घोषणा की गई।
अधिभार, उपकर सहित 22 प्रतिशत के दायरे में आने वाली कंपनियों के लिये कर की प्रभावी दर 25.2 प्रतिशत और नई विनिर्माण इकाइयों के लिये 17.01 प्रतिशत तक पहुंच जायेगी। सरकार ने अर्थव्यवस्था की सुस्त पड़ती गति को तेज करने के प्रयासों के तहत यह कदम उठाये। इसके अलावा लालफीताशाही कम करने और प्रत्यक्ष विदेशी मुद्रा प्रवाह बढ़ाने के भी उपाय किये गये।
वित्त मंत्री ने कहा कि कंपनी कर में कमी भारत को निवेश का और ज्यादा आकर्षक स्थल बनाने के लिये की गई। इससे अमेरिका और चीन से बाहर निवेश की संभावनायें तलाश रही कंपनियों को आकर्षित किया जा सकेगा। सीतारमण ने आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिये सुधारों को आगे बढ़ाने का काम जारी रखने का वादा किया। चालू वित्त वर्ष की जुलाई- सितंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि की दर घटकर 4.5 प्रतिशत रह गई।
यह पिछले छह साल का निचला स्तर है। सांसदों की व्यक्तिगत आयकर कम करने की मांग पर सीतारमण ने पिछले पांच साल के दौरान व्यक्तिगत आयकर के मामले में दी गई रियायतों और छूट के बारे में बताया। हालांकि, उन्होंने आगे कोई कदम उठाने के बारे में कुछ नहीं कहा। वित्त मंत्री ने निजी खपत में गिरावट आने की बातों का भी प्रतिवाद किया।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के पहले पांच साल के कार्यकाल के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में खपत का हिस्सा 2009- 2014 के दौरान 56.2 प्रतिशत से बढ़कर 59 प्रतिशत तक पहुंच गया।