नई दिल्ली। BRICS presidency to India: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सख्त तेवर और उनके फैसलों के कारण कई देशों व संस्थाओं पर बढ़ते दबाव के बीच ब्रिक्स की कमान अब भारत के हाथों के आ गई है।
ब्राजील से भारत को ब्रिक्स की अध्यक्षता का हस्तांतरण केवल औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि गहरे प्रतीकवाद से भरा रहा। खासकर तब जब अमेरिका के एकतरफा फैसले वैश्विक व्यवस्था को झकझोर रहे हैं। 2024 में रूस से मिले स्टील के हथौड़े के बाद, ब्राजील ने भारत को अमेजन वर्षावन की पुनर्चक्रित लकड़ी से बना हथौड़ा सौंपा।
ब्राजील के ब्रिक्स शेरपा मौरिसियो लिरियो के मुताबिक, यह प्रतीक सतत विकास और आपसी सहयोग की जड़ों को दर्शाता है, साथ ही भारत की आगामी अध्यक्षता पर विश्वास भी जताता है। ब्रिक्स की अध्यक्षा संभालने के साथ ही भारत ने कई बड़े बदलाव के संकेत दे दिए हैं। भारत आधिकारिक रूप से 1 जनवरी से ब्रिक्स की अध्यक्षता संभालेगा।
11 देशों के प्रतिनिधियों ने किया आकलन
11–12 दिसंबर को ब्रासीलिया में हुई BRICS शेरपाओं की बैठक में केवल प्रतीकों पर नहीं, बल्कि उपलब्धियों की समीक्षा पर भी जोर रहा। 11 सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने ब्राजील की अध्यक्षता के तहत 2025 तक की प्रगति का आकलन किया। ब्राजील के विदेश मंत्री मौरो विएरा ने कहा कि ब्रिक्स की प्रासंगिकता अब आम लोगों के जीवन पर पड़ने वाले असर से मापी जाएगी, न कि केवल कूटनीतिक घोषणाओं से।
ब्राजील ने अपनी अध्यक्षता में ब्रिक्स को सततता और समावेशी विकास के इर्द-गिर्द केंद्रित रखा। जुलाई में रियो डी जेनेरियो में हुए शिखर सम्मेलन में तीन अहम घोषणाएं हुईं। जिसमें एआई के शासन पर, जलवायु वित्त ढांचे पर और सामाजिक कारणों से फैलने वाली बीमारियों के उन्मूलन के लिए साझेदारी पर। बहुपक्षीय व्यवस्था पर बढ़ते अविश्वास के बीच भी ब्रिक्स ने संवाद और सहयोग का मंच बने रहने का संदेश दिया।
ब्राजील में ब्रिक्स की अध्यक्षता ऐसे समय में रही, जब ट्रंप प्रशासन ने ब्रिक्स पर अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने का आरोप लगाया और समूह के देशों पर 100% तक टैरिफ की धमकी दी। भारत और ब्राजील दोनों ही ट्रंप की व्यापार नीतियों के निशाने पर रहे।
भारत ने किए बदलाव
अब 2026 के लिए भारत की अध्यक्षता ऐसे वक्त में शुरू हो रही है, जब ट्रंप के दूसरे कार्यकाल ने वैश्विक व्यापार और कूटनीति को अस्थिर कर दिया है। भारत ने साफ किया है कि उसकी ब्रिक्स की अध्यक्षता लचीलापन, नवाचार, सहयोग और सततता पर आधारित होगी। जलवायु परिवर्तन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और वैज्ञानिक सहयोग जैसे मुद्दों पर शुरू की गई पहलों को आगे बढ़ाया जाएगा। जलवायु परिवर्तन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और विकास वित्त जैसे मुद्दों पर भारत की भूमिका न केवल समूह के लिए, बल्कि ट्रंप के नेतृत्व में बदलती अमेरिकी नीति के बीच वैश्विक संतुलन के लिए भी अहम मानी जा रही है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव और टैरिफ की धमकियों के बीच भारत के सामने चुनौती होगी की वह ब्रिक्स को अमेरिकी विरोधी मंच बनने से बचाते हुए उसे बहुपक्षीय सहयोग और विकास का विकल्प लेकर मजबूत करे। यह आने वाले समय में भारत के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगी
