पुरुष सबसे ज्यादा कब एक्साइटेड होते हैं, अगर इसकी वजह जानना चाहते हैं तो सीधा सा जवाब है सुबह के समय। सोकर उठने से पहले ही पुरुषों का टेस्टोस्टेरॉन लेवल पीक पर होता है। यह दिन के टाइम से करीब 25-50 फीसदी तक ज्यादा होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पिट्यूटरी ग्लैंड, जो कि मेल सेक्स हॉर्मोन को रेग्युलेट करती है वह रात के वक्त स्विच-ऑन हो जाती है और सुबह तक टेस्टोस्टेरॉन का लेवल बढ़ जाता है।
महिलाओं में भी टेस्टोस्टेरॉन बनता है, यही हॉर्मोन सेक्स ड्राइव के लिए रिस्पॉन्सिबल होता है लेकिन महिलाओं में इसकी मात्रा कम होती है और इसका अमाउंट रात में ही हल्का सा बढ़ता है। इसको बैलेंस करने के लिए एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन दूसरे हॉर्मोन्स भी होते हैं। पुरुषों में सेक्स की इच्छा जगाने के लिए थोड़े से ही टेस्टोस्टेरॉन की जरूरत होती है।
सुबह बढ़े हुए टेस्टोस्टेरॉन का मतलब है कि पुरुष हफ्ते में दो से तीन बार इरेक्शन के साथ उठते हैं।अगर पुरुषों को अच्छी नींद आई है तो इसका मतलब है कि सुबह के वक्त उनकी सेक्शुअल डिजायर और बढ़ जाती है। यौन रोग विशेषज्ञ डॉ. अविनाश का कहना है कि स्टडी में यह साबित हुआ है कि जो पुरुष जितना ज्यादा और गहरी नींद में सोते हैं उनका टेस्टोस्टेरॉन लेवल उतना ज्यादा हाई रहता है।
एक रिसर्च के मुताबिक 5 घंटे से ज्यादा सोने पर पुरुषों का लेवल 15 फीसदी तक बढ़ जाता है। जब पुरुष सोकर उठते हैं तो उनके सेक्स हॉर्मोन का लेवल सबसे ज्यादा होता है वहीं महिलाओं का सबसे कम। मेल और फीमेल सेक्स हॉर्मोन एक-दूसरे से ऑपोजिट टाइम में हाई रहते हैं। इसलिए दोनों का तालमेल अक्सर नहीं मिलता। जैसे ही महिलाएं और पुरुष दिन के लिए तैयार होने लगते हैं उनके स्ट्रेस हॉर्मोन कॉर्टिसॉल का लेवल बढ़ने लगता है जो सेक्स हॉर्मोन के असर को खत्म कर देता है।
स्टडीज की मानें तो कॉर्टिसॉल महिला और पुरुष दोनों की सेक्स ड्राइव कम कर देता है। किसी भी अट्रैक्टिव इंसान को देखकर दिमाग में तुरंत फील-गुड न्यूरोट्रांसमिटर्स जिन्हें एंडॉर्फिन्स कहते हैं, वे ट्रिगर होते हैं और ये पुरुषों के जेनाइटल्स तक पहुंचते हैं। वहीं सेक्स हॉर्मोन बढ़ने में थोड़ा वक्त लगता है। हालांकि जिन लोगों का टेस्टोस्टेरॉन लेवल ज्यादा होता है वे किसी सेक्सी इंसान को देखने पर ज्यादा फ्लर्ट करने लगता है।
वहीं एक रिसर्च के मुताबिक, जिन पुरुषों का टेस्टोस्टेरॉन ज्यादा होता है वे महिलाओं को ज्यादा अट्रैक्टिव लगते हैं। लंच टाइम पर अगर कोई महिला किसी हैंडसम हंक को देखती है तो बहुत कम चांसेज हैं कि वह अराउज्ड हों जबकि पुरुषों के साथ ऐसा हो सकता है खासकर अगर वह उस महिला को पहले से ही पसंद करते हैं। स्टडीज में यह भी सामने आया है कि महिलाओं का टेस्टोस्टेरॉन तभी बढ़ने की संभावना ज्यादा होती है जब वह अपने पार्टनर के साथ सेक्स करने वाली हों।
शाम होते ही पुरुषों का टेस्टोस्टेरॉन लेवल गिरने लगता है जबिक महिलाओं का धीरे-धीरे बढ़ने लगता है। स्टडीज से यह भी सामने आया है कि वर्कआउट और जिम के बाद दोनों जेंडर्स की लिबिडो बढ़ जाती है। स्टडी में देखा गया कि वर्कआउट के बाद लोगों ने 30 फीसदी सेक्स ज्यादा किया और 26 फीसदी ज्यादा ऑर्गैज्म मिला। शाम को स्ट्रेसफुल दिन खत्म होने के बाद, हल्का सा म्यूजिक भी सेक्स हॉर्मोन का लेवल बढ़ा सकता है, लेकिन यह बात महिलाओं पर लागू होती है, पुरुषों पर इसका ऑपोजिट इफेक्ट हो सकता है।