नई दिल्ली। स्मार्ट टीवी का क्रेज पिछले एक दो सालों में काफी बढ़ा है। यही कारण है कि बाजार में एक से बढ़कर एक फीचर वाले स्मार्ट टीवी की एंट्री हो रही है। अगर आप भी स्मार्ट टीवी यूज करते हैं या खरीदने का प्लान कर रहे हैं, तो स्मार्ट टीवी को लेकर हाल में आई एक रिपोर्ट आपको चिंता में डाल सकती है। हाल में रिसर्चर्स की एक टीम ने दावा किया है कि घरों में लगे स्मार्ट टीवी यूजर्स पर नजर रखने के साथ ही उनके निजी डेटा को भी ऐक्सेस कर रहे हैं। इस खबर के बाद से यूजर्स की प्रिवेसी पर एक बार फिर से सवाल खड़े हो गए हैं।
वेब कॉन्टेंट के जरिए हो रही ट्रैकिंग
प्रिंसटन यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के रिसर्चर्स ने कहा है कि स्मार्ट टीवी पर देखे जाने वाले वेब कॉन्टेंट की मदद से ओटीटी ऐप्स यूजर्स को ट्रैक कर रहे हैं। ये ऐप्स यूजर्स पर नजर रखने के साथ ही उनके डेटा को भी चोरी कर रहे हैं। पॉप्युलर ओटीटी प्लैटफॉर्म्स के साथ ही Roku और ऐमजॉन फायर टीवी के बारे में कहा गया है कि ये भी यूजर्स को ट्रैक करते हैं। यह दुनियाभर के करोड़ों इंटरनेट से जुड़े स्मार्ट टीवी यूजर्स के लिए एक बड़ा खतरा है।
अलग-अलग डोमेन के साथ शेयर हो रहा डेटा
ओवर द टॉप (ओटीटी) सर्विस डेटा ट्रैकर्स के साथ आते हैं। रोकू के 69% चैनल और ऐमजॉन फायर टीवी के 89% चैनल ट्रैकर्स से लैस हैं। रिसर्च में कहा गया है कि ये ओटीटी सर्विस 60 ट्रैकिंग डोमेन यानी की वेबसाइट्स के साथ यूजर्स के डेटा को शेयर कर रही हैं।
माइक्रोफोन इनपुट और व्यूइंग हिस्ट्री को किया जाता है ऐक्सेस
ट्रैकिंग से मिले डेटा के आधार पर कंपनियां यूजर्स को टारगेटेड ऐड दिखाने का काम करती हैं। इसके लिए वे यूजर्स की डिवाइस आईडी के साथ, सीरियल नंबर, वाई-फाई मैक अड्रेस, और SSID के डेटा को ऐक्सेस करती हैं। इतना ही नहीं, इन सर्विसेज के बारे में कहा गया है कि ये स्मार्ट टीवी के माइक्रोफोन इनपुट, व्यूइंग हिस्ट्री और यूजर के पर्सनल इन्फर्मेशन को भी हैक करती हैं।
यूजर की लोकेशन का भी चलता है पता
टारगेटेड ऐडवर्टाइजिंग के साथ ही डेटा अलग-अलग ऐप डिवेलपर्स के साथ शेयर किया जाता है। यह डेटा लीक होने की आशंका को काफी बढ़ा देता है। इसके साथ ही रिसर्च डेटा में कहा गया है कि ओटीटी सर्विस में इस्तेमाल होने वाला लोकल रिमोट कंट्रोल API सुरक्षित नहीं है। इसकी मदद से यूजर के लोकेशन, इंस्टॉल किए गए नए और पुराने चैनल और डिवाइस आईडेंटिफायर्स को ऐक्सेस किया जा सकता है।
रिसर्चर्स ने ऐसे लगाया पता
रिसर्चर्स ने इसका पता लगाने के लिए एक ऑटोमेटेड सिस्टम तैयार किया। इसमें रोकू और ऐमजॉन के 1000 चैनल को इंस्टॉल किया गया। इसके जरिए रिसर्चर्स ने ओटीटी चैनल स्टोर के जरिए चैनल इन्फर्मेशन को कलेक्ट किया। रिसर्चर्स द्वारा तैयार किया गया यह सिस्टम बिल्कुल इंसानों की तरह काम कर रहा था। यह एक असल यूजर की तरह सभी चैनलों पर जाकर ओटीटी सर्विस की क्षमता को आंक रहा था। इसमें विडियो प्लेबैक भी शामिल था। इस प्रक्रिया से जुटाए गए डेटा को स्टडी करने के बाद रिसर्चर्स ने कन्फर्म किया कि ओटीटी सर्विस यूजर के डेटा को ऐक्सेस कर रही हैं।