कोटा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कोटा महानगर की ओर से विजयादशमी पर 10 स्थानों से पथ संचलन निकाले गए। गणेश नगर, विवेकानन्द नगर, चाणक्य नगर, विश्वकर्मा नगर, प्रताप नगर, अम्बेडकर नगर, दीनदयाल नगर, गायत्री नगर, तानाजी नगर, संभाजी नगर में पूर्ण गणवेश में पथ संचलन निकाले गए। वहीं विजयादशमी के अवसर पर विभिन्न संस्थानों पर शस्त्र पूजन के कार्यक्रम भी सम्पन्न हुए। गौरतलब है कि विजयादशमी पर संघ का स्थापना दिवस भी होता है। इस बार संघ का 95वां स्थापना दिवस था।
विभिन्न स्थानों से निकलने वाले संचलन के दौरान घोष की मधुर स्वरलहरियों पर स्वयंसेवक कदम से कदम मिलाते सीना ताने चल हे थे। पूर्ण गणवेश पहने स्वयंसेवकों का उत्साह देखते ही बन रहा था। संचलन के मार्ग में तोरण द्वार सजाए गए थे तो स्थान स्थान पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया जा रहा था। संचलन को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़ रहे थे जो भारत माता के जयकारों से आसमान को गुंजायमान कर रहे थे। आणक, प्रणव, वंशी और शंख से सजा घोष दल आकर्षण का केन्द्र था तो तरूण स्वयंसेवकों के द्वारा ध्वज को हाथों में थामें परंपरा का परिचय करा रहा था।
बोरखेड़ा क्षेत्र में निकले पथ संचलन को संबोधित करते हुए प्रान्त प्रचार टोली के सदस्य आशीष मेहता ने कहा कि देशहित की मूलभूत अनिवार्य आवश्यकता है, भारत के ‘स्व’ की पहचान। सामर्थ्य संपन्न व गुणवत्तावाला संगठित समाज इस देश में बनना आवश्यक है। इसलिए संघ हिन्दू समाज को संगठित व अजेय सामर्थ्य संपन्न बनाना चाहता है और इस कार्य को सम्पूर्ण संपन्न करके रहेगा।
अपने-अपने सम्प्रदाय, परंपरा व रहन-सहन को लेकर अपने आप को अलग माननेवाले को यह समझने की आवश्यकता है कि हिन्दुत्व तो इस देश के सनातन मूल्यबोध को ही कहते हैं। इस हिन्दू संस्कृति व समाज की सुरक्षा तथा संवर्धना के लिए प्रखर परिश्रम करनेवाले, प्राणोत्सर्ग करनेवाले महापुरुष हम सबके पूर्वज, हम सबके गौरव हैं। संपूर्ण विश्व को, उसकी विशिष्ट विविधताओं का स्वागत व स्वीकार करते हुए हृदय से अपनाने की क्षमता भारत में इस हिन्दुत्व के कारण ही है।