कोटा। शारदीय नवरात्रि के साथ ही शरद ऋतु का आगमन हो चुका है और इस वक्त देशभर के मौसम में तेजी से बदलाव हो रहा है। 1-2 पहले तक जहां तेज गर्मी पड़ रही थी वहीं, अचानक बहुत ज्यादा बारिश होने की वजह से मौसम ठंडा हो गया है।
देश के जिन हिस्सों में बारिश नहीं भी हुई है वहां भी मौसम ने अचानक करवट ली है और हल्की ठंडा हवा चलने की वजह से मौसम बदल गया है और सुबह और रात के वक्त ठंड महसूस होने लगी है। इस तरह के बदलते मौसम में सबसे ज्यादा वायरल बुखार परेशान करता है। जरा सी लापरवाही आपको बीमार बना सकती है।
वायरल फीवर के लक्षण
वैसे तो वायरल फीवर किसी को भी हो सकता है लेकिन चूंकि छोटे बच्चों की इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है लिहाजा उन्हें वायरल फीवर सबसे पहले अपनी चपेट में लेता है। ऐसे में अगर आपके बच्चे को हाई फीवर है, आंखों में जलन महसूस हो रही है, सिरदर्द, बदन दर्द और उल्टी भी हो रही है तो समझ लीजिए कि आपका बच्चा वायरल फीवर की चपेट में आ गया है। ऐसे में आपको सेल्फ मेडिकेशन करने की बजाए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और जरूरी दवाएं दिलाएं।
वायरल फीवर का कारण
- कोई इंफेक्टेड व्यक्ति जब खांसता या छींकता है तो उसके कीटाणु दूसरे व्यक्ति को भी अपनी चपेट में ले लेते हैं।
- वायरल फीवर से पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने या बॉडिली फ्लूइड्स एक्सचेंज होने पर भी बच्चा वायरल फीवर की चपेट में आ सकता है।
- वायरल फीवर का इंफेक्शन कैरी करने वाले कीटाणु या कीड़े मकौड़े बच्चे को काट लें तो उससे भी बच्चे को वायरल फीवर हो सकता है।
वायरल फीवर से बच्चे को ऐसे बचाएं
- अगर बच्चा वायरल से पीड़ित है तो जहां तक संभव हो बच्चे को खूब सारा आराम करने दें
- पानी और फ्लूइड्स की मात्रा में कमी न होने दें, इससे भी वायरल फीवर से निपटने में मदद मिलेगी
- डॉक्टर द्वारा प्रिस्क्राइब की गई दवा की डोज को बीच में न छोड़े, पूरा कोर्स करें
- ऐसे बच्चे जिन्हें पहले से सर्दी, खांसी, जुकाम हों उन बच्चों के संपर्क से अपने बच्चों को दूर रखें
- बच्चों को फिट और हेल्दी रखने के लिए बैलेंस्ड डायट भी जरूरी है, बच्चों का बाहर का कुछ भी न खिलाएं
- साफ-सफाई का ध्यान रखें। बच्चों के हाथ अच्छे से धुलाएं, साफ कपड़े पहनाएं, सफाई से रहना सिखाएं