मिसाल: अपने वेतन से डेढ लाख खर्च कर शिक्षिका ने बनवाए कमरे

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कोटा। शिक्षा के मंदिरों से दरकते भवन, टपकती छतें और कभी भड़कती धूप तो कभी कड़कती ठंड ओर लाचार सिस्टम के सामने दम तोड़ती उम्मीदें और इन सबके बीच में पढ़ने को मजबूर होनहारों की तस्वीरें अक्सर सामने आती हैं। लेकिन, आज इन सबके बीच एक तस्वीर राहत देने वाली है एक शिक्षिका ने जब अपने क्लास के बच्चो को गैलरी में टपकते पानी के बीच देखा तो अपने वेतन से स्कूल में दो कमरे बनवा दिए। ताकि बच्चे आराम से पढ़ सकें।

स्कूल जहां लिखी जाती है देश की तरक्की की इबारत। इस जिम्मेदार को समझते हुए कोटा की इस शिक्षिका ने अपने स्कूल को अपने बूते संवारने के जिम्मा उठाया है। कोटा के गोपाल मिल स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में भवन की गैलरी में पढ़ना स्कूली बच्चों की मजबूरी थी। क्योंकि छतें टपकती थी और दरकती थी।

वहां पर तैनात शिक्षिका मिथलेश यादव ने स्कूली बच्चों की शिक्षा का महत्व समझते हुए समाज के विकास में भागीदारी निभाते हुए अपने वेतन से 1.50 लाख रुपये लगाकर स्कूल में दो कमरों का निर्माण करवा दिया और स्कूल को समर्पित कर दिए।

मिथलेश यादव के पति एमबीएस अस्पताल में सरकारी चिकित्सक हैं। डॉ राजेश सागर एवं उनकी पत्नी शिक्षिका मिथलेश यादव ने आज एक सादा कार्यक्रम में ये भवन स्कूल के छात्रों को भेंट कर दिए। इस दौरान समाजसेविका डॉ. एकता धारीवाल, एवं नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष अनिल सुवालका भी उपस्थित थे। सरकारी स्कूल में अपने वेतन से दो कमरों का निर्माण करवाने की ये सोच वाकई काबिल ए तारीफ है।