कोटा। मेडिकल काॅलेज कोटा 2016 और 2017 बैच का द्वितीय संस्थानिक दीक्षान्त समारोह गुरुवार को काॅलेज ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया। समारोह में मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस, एमडी, एमएस तथा पैरामेडिकल की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्र-छात्राओं को डिग्रियां प्रदान की गई। कॉलेज सभागार में तालियों की गडगड़ाहट के बीच मुख्य अतिथि कोटा विवि की कुलपति प्रो. नीलिमा सिंह ने डिग्रियां प्रदान की।
मेडिकल कॉलेज कोटा को सतरंगी रंगोली से सजाया गया था। जहां एक ओर मुख्य द्वार व दीवारों पर सजे पुष्पहारों की सुंगध से कॉलेज परिसर महक रहा था। वर्षों तक जिस डिग्री के इंतजार में छात्र-छात्राओं ने अथक मेहनत की थी, उनके चेहरों पर डिग्री पाने की खुशी साफ झलक रही थी। छात्र सफेद कुर्ता पायजामा और लाल दुपट्टा पहने थे, वहीं छात्राएं क्रीम कलर की लाल बॉर्डर की साड़ी और लालरंग का शॉल ओढ़े नजर आईं। शिक्षक सफेद कुर्ता पायजामा और पीला दुपट्टा तथा शिक्षिकाएं क्रीम कलर की लालरंग के बॉर्डर की साड़ी पर पीला दुपट्टा ओढ़े नजर आई।
कुलपति प्रो. नीलिमा सिंह ने संस्कृत श्लोक ‘‘सर्वे भवन्तु सुखिनः…’’ का उल्लेख करते हुए कहा कि डिग्री लेने के बाद समाज को रोगमुक्त और निरामय बनाने के लिए कार्य करना चाहिए। चिकित्सक को मेडिसिन और मानवता के प्रति समान रुप से लगाव प्रदर्शित करना होगा। बिना मानवता के चिकित्सा का क्षैत्र अधूरा ही है। आज मेडिकल काॅलेज नई ऊंचाईयों की ओर अग्रसर है। काॅलेज की सिल्वर जुबली से पूर्व ही यहां सुपर स्पेशियलिटी सेवाएं प्रारंभ हो गईं। वहीं, अब मल्टी सुपर स्पेशियलिटी यूनिट भी तैयार है।
उन्होंने कहा कि आज रोगी और चिकित्सक के बीच परस्पर समझ में कमी आई है। जिसके कारण से कुछ समस्याओं का जन्म भी हुआ है। चिकित्सक को रोगी की मनोदशा को समझते हुए उसका उपचार करने की कला भी विकसित करनी होगी। देश में शिक्षा का बहुत विकास हुआ है, लेकिन उसके साथ गुणवत्ता का उतना विकास नहीं हुआ है ।
इसीलिए हमें शिक्षा में गुणवत्ता बहाल के लिए प्रयास करना चाहिए। वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ़ मेडिकल एजुकेशन चिकित्सा शिक्षा को लेकर कार्य कर रही है। मेडिकल कौंसिल ऑफ़ इण्डिया भी वैश्विक बदलावों के अनुसार पाठ्यक्रम में परिवर्तन ला रही है। उन्होंने कहा कि सीखना कभी बंद मत करना, प्रश्न पूछना कभी बंद मत करना।
प्राचार्य डाॅ. सरदाना ने कहा कि चिकित्सा क्षेत्र में जितनी तेजी से बदलाव आ रहा है, प्रगति हो रही, वह हमारे सामने है। अब मेडिकल शिक्षा में भी मेडिकल कौंसिल की ओर से अहम बदलाव किए हैं। हमें इन बदलावों के साथ चलना चाहिए। मेडिकल शिक्षा का उद्देश्य महज विज्ञान व तकनीक को उच्चतम स्तर पर ले जाना ही नहीं, वरन ज्ञान व विज्ञान की प्रगति के साथ उसके उपयोग का एक संवेदनशील वातावरण बनाना होता है।
पाठ्यक्रमों व शोध कार्यों की गुणवत्ता के स्तर पर कार्य करने के लिए हम सभी को ही आगे आना होगा। इस दौरान पूर्व प्राचार्य डाॅ. गिरीश वर्मा, डाॅ. एसएन सोनी, डाॅ. आरपी मीना, डाॅ. प्रतिमा जायसवाल समेत संकाय सदस्य, टीचर्स, डाॅक्टर्स और अभिभावक उपस्थित रहे।
490 को मिली डिग्री
प्राचार्य डाॅ. विजय सरदाना ने बताया कि समारोह के दौरान सत्र 2016 और 2017 बैच में एमबीबीएस के 287, एमडी एमएस के 137 तथा पैरामेडिकल के 66 छात्र छात्राओं को डिग्रियां प्रदान की गईं। वहीं न्यूरोलाॅजी के डीएम एमसीएच के 4 स्टूडेंट्स को जयपुर के दीक्षान्त समारोह में डिग्री प्रदान की गई। इस दौरान स्टूडेंट्स के साथ उनके अभिभावक और बहिन भाई भी डिग्री लेने के लिए ऑडिटोरियम मे मौजूद रहे। छात्र छात्राओं ने पंक्तिबद्ध होकर एक एक कर अपनी डिग्री प्राप्त की।
सेल्फी ली, पुरानी यादें ताजा कीं
डिग्री लेने के दौरान छात्र चिकित्सकों ने सफेद कुर्ते पायजामा तथा छात्राओं ने सफेद लाल साड़ी पहन रखी थीं। छात्र छात्राएं डिग्री पाकर खुशी का प्रकटीकरण कर रहे थे। इस दौरान 490 में से करीबन 290 स्टूडेंट्स दीक्षान्त समारोह का हिस्सा बनने के लिए उपस्थित हुए। पुराने साथियों से मिलकर सभी खुश हो रहे थे तो कुछ ने कैम्पस में घूमकर अपनी पुरानी यादें भी ताजा कीं। उन्होंने आपस में मिलकर सेल्फी ली तो कुछ स्टूडेंट्स फेकल्टी के साथ भी फोटो खिचवाते रहे।