बेंगलुरु। भारत का महत्वाकांक्षी चंद्र अभियान अपने एक और महत्वपूर्ण पड़ाव की ओर पहुंच गया है। मंगलवार को चंद्रयान-2 ने सफलतापूर्वक चांद की कक्षा में प्रवेश कर लिया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने यह जानकारी दी है। यह एक चुनौतीपूर्ण पड़ाव था जिसे चंद्रयान ने पा लिया। इसके बाद कुल 4 ऑर्बिट मेनीवर्स होंगे जिसकी मदद से चंद्रयान-2 चांद की कक्षाएं बदलते हुए उसकी सतह के पास पहुंचेगा।
22 जुलाई को रवाना हुए चंद्रयान-2 की कक्षा में अब तक छह बार बदलाव किया गया है। छठा बदलाव 14 अगस्त को किया गया था। इस बदलाव के जरिए यान को लूनर ट्रांसफर ट्रैजेक्टरी (एलटीटी) पर पहुंचा दिया गया था। एलटीटी वह पथ है, जिस पर बढ़ते हुए यान चांद की कक्षा में प्रवेश करेगा। इस प्रक्रिया को ट्रांस लूनर इंसर्शन (टीएलआई) कहा जाता है।
इस पूरी प्रक्रिया के बारे में इसरो प्रमुख के सीवान आज 11 बजे मीडिया को जानकारी देंगे।
एलटीटी पर बढ़ते हुए आज जैसे ही चंद्रयान-2 चांद के मुहाने पर पहुंचेगा, तब एक बार फिर लिक्विड इंजन चलाकर इसे चांद की कक्षा में प्रवेश कराया जाएगा। इसके बाद यान को चांद की निकटतम कक्षा तक पहुंचाने के लिए इसके पथ में चार बदलाव और किए जाएंगे।यह भारत का दूसरा चंद्र अभियान है। 22 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसरो के सबसे भारी रॉकेट जीएसएलवी-मार्क 3 की मदद से इसे प्रक्षेपित किया गया था।
चंद्रयान-2 के तीन हिस्से हैं- ऑर्बिटर, लैंडर “विक्रम” और रोवर “प्रज्ञान”। ऑर्बिटर करीब सालभर चांद की परिक्रमा करते हुए प्रयोगों को अंजाम देगा। वहीं, लैंडर और रोवर सात सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव के अनछुए हिस्से पर उतरेंगे। लैंडिंग के साथ ही भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा।
अब तक अमेरिका, रूस और चीन अपना यान चांद पर उतार चुके हैं।2008 में भारत ने ऑर्बिटर मिशन चंद्रयान-1 भेजा था। यान ने करीब 10 महीने चांद की परिक्रमा करते हुए प्रयोगों को अंजाम दिया था। चांद पर पानी की खोज का श्रेय भारत के इसी अभियान को जाता है।