नई दिल्ली। जीएसटी लागू होने के बाद भी टैक्स का डिफरेंस दुकानदार को देना होगा। कई दुकानदारों ने खासतौर से कपड़े के व्यापारियों ने सॉफ्टवेयर अपडेट नहीं कराया है। साथ ही दुकानदारों को ए, बी, सी और डी कैटिगरी में बांटा जाएगा।
जीएसटी काउंसिल के एक सीनियर अफसर ने बताया कि जो दुकानदार पुराने तरीके से बिल बना रहे हैं अगर उस प्रॉडक्ट पर जीएसटी अधिक लगा है तो टैक्स के अंतर को दुकानदार को ही भरना होगा, ग्राहक को नहीं। उनका कहना था कि ग्राहक तो माल खरीदकर या फिर रेस्तरां से खाना खाकर चला जाएगा। इसके बाद दुकानदार किस ग्राहक से बढ़े हुए जीएसटी का डिफरेंस लेगा।
अधिकारी ने बताया कि मार्केट में सॉफ्टवेयर उपलब्ध है। कुछ दुकानदार जानबूझकर इसे अपडेट नहीं करा रहे हैं या फिर इसमें लापरवाही बरत रहे हैं।अधिकारी ने बताया कि 1 जुलाई से जीएसटी लागू होने के बाद से जो भी दुकानदार पुरानी बिल बुक से बिल काट रहे हैं वह गलत है। ऐसा करने वाले दुकानदार जब रिटर्न दाखिल करेंगे तो इसमें इसका पता लग जाएगा।
दुकानदारों को ए, बी, सी और डी कैटिगरी में बांटा जाएगा। मसलन, जो दुकानदार अपना टैक्स और रिटर्न समय पर भरेगा उसे सबसे अच्छी रैंकिंग दी जाएगी। इसी तरह से ए से शुरू होकर यह रैंकिंग डी तक जाएगी। दुकानदारों के इस डेटा को ऑनलाइन शेयर किया जाएगा। अगर कोई दुकानदार इनमें से किसी से बिजनस की कोई डीलिंग करना चाहता है, तो वह उसकी रैंकिंग देखकर डील कर सकता है।