नई दिल्ली।पॉप्युलर मेसेजिंग ऐप वॉट्सऐप वैसे तो अपने यूजर्स को प्रिवेसी की गारंटी देता है, लेकिन बीते दिनों सामने आई रिपोर्ट्स ने इस दावे की पोल खोल दी है। इजरायल की सुरक्षा फर्म ने वॉट्सऐप की एक खामी के चलते ऐसा स्पाईवेयर ऐप में डाल दिया, जिसकी मदद से स्मार्टफोन के कैमरा से लेकर माइक्रोफोन तक को हैक किया जा सकता था। खुद वॉट्सऐप ने कन्फर्म किया कि ऐसा अटैक एक बग के चलते हुआ और फौरन यूजर्स से ऐप अपडेट करने को कहा।
वॉट्सऐप कॉल के जरिए फोन को हैक किया जा सके, इससे ज्यादा रिस्की यूजर्स के लिए और क्या हो सकता था। इजराइल की सरकार के लिए काम करने वाली फर्म ने कुछ यूजर्स को टारगेट करते हुए उनसे जुड़ा डेटा जुटाने के मकसद से स्पाईवेयर को यूज किया।
इस बात को वॉट्सऐप ने भी माना है, हालांकि किसी फर्म का नाम वॉट्सऐप ने अपने बयान में नहीं लिया है। सबसे पहले इस हैक को ब्रिटिश न्यूजपेपर Financial Times ने रिपोर्ट किया। इस हैक के चलते वॉट्सऐप का एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन फेल हो गया और कोई तीसरा यूजर्स के पर्सनल डेटा तक पहुंच गया।
एनक्रिप्शन दरअसल वह सिस्टम होता है, जिससे यूजर्स के मेसेज सेंडर और रिसीवर के अलावा कोई तीसरा डिकोड नहीं कर सकता। दरअसल सर्विलांस कंपनी एनएसओ ग्रुप की ओर से खासकर पत्रकारों, वकीलों, ऐक्टिविस्ट और मानव अधिकार के लिए काम करने वाले अधिकारियों को टारगेट किया गया था।
यह ग्रुप इजराइल के मिलिट्री से रिटायर्ड लोगों ने प्राइवेट सेक्टर में जाने के बाद बनाया और इसका मकसद खास तौर पर जानकारी जुटाना है। इस स्पाईवेयर का नाम पेगासस है और इसे पहले भी यूज किया जा चुका है।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने बताया कि पेगासस का इस्तेमाल सऊदी अरब ने पत्रकार और आलोचक जमाल खशोगी की जासूसी करने के लिए किया था, जिनकी इस्तांबुल में वाणिज्य दूतावास में सऊदी एजेंटों द्वारा हत्या कर दी गई थी।
एनएसओ समूह पर संयुक्त अरब अमीरात के सर्विंलांस से जुड़े इन कामों का समर्थन करने का भी आरोप है। 2016 में, पेगासस ने एक मानवाधिकार कार्यकर्ता के आईफोन को टारगेट किया था, जिसके बाद ऐपल ने भी अपनी सुरक्षा सुविधा को अपडेट किया था। अब वॉट्सऐप ने भी अपना बग फिक्स कर दिया है, लेकिन यह अटैक सुरक्षा से जुड़े सवाल पीछे छोड़ गया है।