नई दिल्ली। कहा जाता है कि मिस्र की रानियां अपनी सुंदरता बढ़ाने के लिए गधी के दूध में नहाया करती थी। आज लगभग 2000 साल बाद यह दूध एक बार फिर फैशन में लौट चुका है। इसका उपयोग केवल ब्यूटी प्रॉडक्ट के रूप में ही नहीं बल्कि खाने के लिए भी किया जा रहा है। हैरानी की बात है कि इसकी कीमत 700 रुपये प्रति 100 ml है।
कोच्चि, पुणे और दिल्ली एनसीआर के कुछ उद्यमियों ने गधी के दूध के गुणों को पहचाना। इसमें पोषक तत्वों के साथ चिकित्सीय गुण भी होते हैं। साथ ही ऐंटी एजिंग तत्व और ऐंटीऑक्सिडेंट भी पाए जाते हैं। इसीलिए इसका इस्तेमाल ब्यूटी क्रीम, साबुन और शैंपू बनाने के लिए किया जाने लगा।
गधी के दूध से ब्यूटी प्रॉडक्ट बनाने वाली कंपनी डॉल्फिन IBA संस्थापक ऐबी बेबी ने कहा, ‘इस दूध की काफी मांग है। अब लोग बीमारियों के इलाज के लिए भी वे तरीके अपना रहा हैं जो हमारे पूर्वज इस्तेमाल किया करते थे। इसमें अद्भुत गुण होते हैं। बच्चों के लिए भी काफी फायदेमंद होता है और पेट की बीमारियों के साथ स्किन डिजीज के लिए भी काफी लाभदायी होता है।’
उन्होंने कहा, ‘गधी का दूध इंसान के दूध के जितना ही फायदेमंद होता है। इसमें विटामिन के साथ जरूरी फैटी एसिड मौजूद होते हैं। गाय के दूध के मुकाबले इसमें कम फैट होता है इसलिए यूएन के खाद्य एवं कृषि विभाग ने भी इसे बच्चों के लिए अच्छा बताया है और यह गाय के दूध के विकल्प में इस्तेमाल हो सकता है। अमेरिका समेत कई देशों में इसे योग्य खाद्य के रूप में मन्यता दी गई है लेकिन भारत में अभी ऐसा नहीं हो पाया है।’
कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि भारत सरकार भी गधी के दूध को औपचारिक खाद्य में शामिल करने पर काम कर रही है। पशु पालन विभाग के सचिव तरुण श्रीधर ने बताया, ‘हमने सरकार को सलाह दी है कि डॉन्की मिल्क पर शोध किया जाए। एक बार अगर भारतीय नियामकों से मंजूरी मिल जाती है तो बाजार में डॉन्की मिल्क छा जाएगा।’
इस बिजनस में भारी मुनाफा
जो लोग डॉन्की मिल्क के बिजनस में हैं, वे अच्छा पैसा कमा रहे हैं। 2019 में भारतीय कृषि शोध संस्थान के इनोवेटिव अवॉर्ड के विजेता बेबी डॉन्की मिल्क से बनी क्रीम को 4,840 रुपये प्रति 88 ग्राम के हिसाब से बेच रहे हैं। इसी तरह 200 ml का शैंपू 2,400 रुपये का है। उन्होंने 2017 से यह बिजनस शुरू किया था और एक साल में ही उनके टर्नओवर में 70 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई। बेबी के पास अभी कुल 27 डॉन्की हैं।
अद्भुत क्षमता
वैज्ञानिक भी मानते हैं कि डॉन्की के दूध से कॉस्मेटिक प्रॉडक्ट बनाने से किसानों को भी फायदा हो सकता है। वैज्ञानिक अनुराधा भारद्वाज ने कहा कि साधारण किसानों के लिए भी डॉन्की पालना बहुत फायदेमंद हो सकता है। उन्होंने कहा कि डॉन्की के दूध में मौजूद ऐंटीऑक्सिडेंट ऐंटी एजिंग एजेंट की तरह काम करता है और इसका फैट त्वचा को मुलायम बनाए रखता है। कई आयुर्वेदिक डॉक्टर त्वचा की बीमारियों के इलाज के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘आसानी से उपलब्ध होने की वजह से गाय का दूध ज्यादा लोकप्रिय हो गया और समय के साथ लोगों ने डॉन्की मिल्क का इस्तेमाल छोड़ दिया। लेकिन जैसे-जैसे लोग डॉन्की मिल्क का उत्पादन शुरू करेंगे, इसकी कीमत भी कम होगी।