जीएसटी के बाद भी पहले की तरह लगेगा मंडी शुल्क

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कोटा की भामाशाह कृषि उपज मंडी

नई दिल्ली । देश में एक जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद केंद्र और राज्य के कई परोक्ष कर समाप्त हो जाएंगे, लेकिन मंडी में कृषि उपज की बिक्री पर लगने वाला मंडी शुल्क बरकरार रहेगा। मंडी शुल्क की दर देश के अलग-अलग राज्यों में भिन्न-भिन्न है। राजस्थान में 1.60 प्रतिशत है और उत्तर प्रदेश में मंडी शुल्क की दर ढाई प्रतिशत है ।अधिकांश राज्यों में मंडी शुल्क डेढ़ से दो प्रतिशत है लेकिन पंजाब और हरियाणा में यह चार प्रतिशत तक है।

दरअसल मंडी में जब भी कोई किसान अपना माल बेचने जाता है तो उस पर मंडी शुल्क लगता है। हालांकि नीति आयोग के सदस्य और कृषि विशेषज्ञ डा. रमेश चंद कहते हैं कि मंडी शुल्क कोई कर नहीं है क्योंकि इससे प्राप्त होने वाली धनराशि राज्य सरकार के खजाने में नहीं जाती, बल्कि इसका इस्तेमाल मंडियों के रख-रखाव, प्रबंधन और स्टॉफ के लिए किया जाता है। इसलिए जीएसटी आने से इसका कोई लेना-देना नहीं है। जीएसटी लागू होने के बाद सेवा कर, केंद्रीय उत्पाद शुल्क और वैट जैसे केंद्र और राज्यों के कई परोक्ष कर समाप्त हो जाएंगे।

जीएसटी के विरोध में तीन दिन बंद रहेंगे कपड़ा बाजार:
कपड़े पर जीएसटी लगाने के विरोध में हिंदुस्तानी मर्केंटाइल एसोसिएशन ने 27 से 29 जून तक कपड़ा व्यापारियों की हड़ताल का आह्वान किया है। देशभर के कपड़ा व्यापारियों के प्रतिनिधिमंडलों की दिल्ली में बैठक हुई। एसोसिएशन के प्रधान अरुण सिंहानिया, उप प्रधान भगवान बंसल व महामंत्री मुकेश सचदेवा ने संयुक्त बयान में सरकार से अपील की कि कपड़े पर जीएसटी लगाने के बारे में वह पुनर्विचार करे।

30 जून की जीएसटी काउंसिल की बैठक में व्यापारियों, कर्मचारियों व उनके परिवारों व जनता पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव को रोकने के लिए पुनर्विचार किया जाना चाहिए। 70 साल बाद कपड़े को टैक्स के दायरे में लाया गया है। एक हजार तक कीमत वाले कपड़े पर पांच फीसद व इससे ऊपर की कीमत होने पर 12 फीसद जीएसटी लगाना जनहित में नही है।