महाराजा अग्रसेन ने पशु बलि का विरोध कर वैश्य वर्ण अपनाया

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कोटा। अग्रवाल सेवा उत्थान समिति की ओर से गीता भवन में आयोजित अग्र भागवत कथा की रविवार को पूर्णाहुति की गई। पुष्कर के आचार्य नर्मदा शंकर गुरुजी ने रविवार को अग्रसेन माधवी के विवाह का प्रसंग सुनाया और विधि विधान से विवाह की झांकी सजाते हुए प्रसंग का वर्णन् किया। कथा के दौरान अग्रसेन जी का राजतिलक किया और 18 राजकुमारों की झांकी सजाई गई।

उन्होंने बताया कि महाराजा अग्रसेन के घर 18 पुत्रों का जन्म हुआ। पुत्रों को ऋषि गोत्रों में बांट कर अग्रवंश का विस्तार किया। महाराजा अग्रसेन ने पशु बलि का विरोध कर वैश्य वर्ण अपनाया और अपनी संतानों व प्रजा जनों को कृषि, व्यापार के लिए प्रेरित किया।

इंद्र के प्रकोप से दुखी प्रजाजनों को एक रुपया एक ईंट का सन्देश देकर समता का संदेश दिया। ’प्रवक्ता संजय गोयल ने बताया कि अग्र भागवत कथा के अंतिम दिन कथा की पूर्णाहुति हुई। इस दौरान 5 जोड़े ने हवन यज्ञ किया तथा प्रसादी का वितरण किया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि चिकित्सा राज्यमंत्री सुभाष गर्ग ने कहा कि महाराजा अग्रसेन के अग्रोहा नगर में जो भी आता था तो पूरे शहर के लोग उसे एक रुपया, एक ईंट देते थे। उसी सिद्धान्त पर हमें चलना चाहिए। हमेशा दूसरों की सहायता करनी चाहिए।

इस अवसर पर विधायक संदीप शर्मा, अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन पूर्वी राजस्थान के पूर्व अध्यक्ष रामावतार सिंघल, राष्ट्रीय उप महामंत्री हरीश अग्रवाल चाँदीवाला, संस्था के अध्यक्ष मोहनलाल अग्रवाल, अग्रवाल सम्मेलन के अध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, महामंत्री पीपी गुप्ता, भाजपा जिला मन्त्री जगदीश जिंदल, संजय गोयल, कन्हैया लाल मित्तल, राजमल टाटीवाला, किरण गोयल, किरण अग्रवाल, रेणु गोयल, हेमराज जिंदल, सुनीता गोयल ने महाआरती की।