नई दिल्ली। शिक्षण कार्य और शिक्षकों की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने अगले साल से शिक्षा में स्नातक (बीएड) का कोर्स चार साल का करने की घोषणा की है। इस कोर्स को करने से प्रतियोगियों का एक साल बचेगा क्योंकि वह 12वीं क्लास के बाद ही इसे ज्वाइन कर सकेंगे। जबकि मौजूदा प्रणाली में स्नातक करने के बाद ही दो साल का बीएड किया जा सकता है।
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को कहा कि पढ़ाने का स्तर गिरता जा रहा है क्योंकि अब इस क्षेत्र में वह लोग आते हैं जिनके पास कोई और विकल्प नहीं बचता है। इसलिए सरकार ने अगले साल से चार साल के बीएड कोर्स को शुरू करने का फैसला लिया है।
उन्होंने कहा कि पढ़ाने का काम लोगों की पहली पसंद होना चाहिए। यह एक व्यावसायिक चुनाव होना चाहिए, नाकि कुछ न मिलने पर अपनाया गया कार्य हो। जावड़ेकर ने दो दिवसीय सम्मेलन के समापन पर केंद्रीय विद्यालय और जवाहर नवोदय विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को संबोधित करते हुए बताया कि बीएड तीन माध्यमों बीए, बीकॉम और बीएससी में किया जाएगा।
अध्यापकों की शिक्षा के लिए जिम्मेदार वैधानिक संस्था नेशनल काउंसिल फार टीचर्स एजुकेशन ने इसके लिए पाठ्यक्रम में बदलाव किया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 15-20 राज्य नो डिटेंशन नीति के बाद कक्षा 5 से आठ तक के लिए परीक्षा कराएंगे। उन्होंने कहा कि फेल न करने की नीति के चलते दस सालों में शिक्षा का स्तर गिरा है। लेकिन अब 15-20 राज्य अगले साल से परीक्षा कराना शुरू कर देंगे।