जयपुर। राजस्थान में नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिका के मेयर, सभापति व अध्यक्षों के चुनाव पार्षदों का जगह सीधे मतदाताओं द्वारा किए जाएंगे। प्रदेश में 193 निकायों में आगामी चुनाव में यह प्रणाली अपनाई जाएगी। राज्य सरकार ने पांच साल बाद फिर बीजेपी सरकार के नियमों को अपने चुनावी घोषणा पत्र के अनुसार बदल दिया है। 2009 में भी पिछली कांग्रेस सरकार ने ही प्रत्यक्ष प्रणाली से मेयर-सभापति और अध्यक्षों के चुनाव कराए थे।
बीजेपी ने 2014 में इसे बदल दिया था और सीधे जनता की बजाय पार्षदों के माध्यम से मेयर-सभापति चुनने का नियम लागू किया। अब होने वाले नए चुनावों में फिर सीधे जनता के वोटों से एमएलए-एमपी की तरह मेयर-सभापति चुने जाएंगे। सरकार ने गुरुवार को राजस्थान म्यूनिसिपल एक्ट इलेक्शन रूल्स 1994 में बदलाव कर दिया।
इसके अलावा मध्य प्रदेश, छग, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और झारखंड में भी यह प्रणाली लागू है। डीएलबी के वरिष्ठ विधि परामर्शी अशोक सिंह ने बताया कि 2014 में गठित बोर्ड का कार्यकाल 2019 तक और 2015 में गठित बोर्ड का कार्यकाल 2020 तक है।
पुराने बोर्ड में यदि किसी प्रकार का पद रिक्त होता है तो उनके चुनाव पुरानी अप्रत्यक्ष प्रणाली से ही होंगे। चाहे अध्यक्ष, सभापति या मेयर का पद खाली हो। लेकिन जिन जिन निकायों में नए चुनाव ऐलान हो जाएंगे तो अब नए संशोधन के अनुसार अध्यक्ष, मेयर और सभापति के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से शहरों की जनता द्वारा चुनकर ही किए जाएंगे।
आगामी चुनावों का विवरण: इस साल नवंबर में जयपुर सहित 44 निकायों में चुनाव होंगे। अगले साल जुलाई में प्रदेश के 137 स्थानीय निकायों के चुनाव होंगे। उसके बाद बाकी बचे या नए गठित निकायों के फिर नंबर तक दो बार चुनाव होंगे। इस तरह 2019 और 2020 में तीन चरणों में सभी 193 निकायों के चुनाव होंगे। ये सभी चुनाव नए संशोधित इलेक्शन रूल्स के अनुसार प्रत्यक्ष प्रणाली से होंगे।