- राउंड ट्रिपिंग के लिए 125 टन आयातित सोने के इस्तेमाल का अनुमान, जिस पर प्रतिबंध से लग जाएगी लगाम
- निर्यात में बढ़े हुए आंकड़े को लेकर रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद ने भी जताई है चिंता
मुंबई । सोने की राउंड-ट्रिपिंग पर लगाम कसने और बैंकों की रकम का निर्यात के लिए दुरुपयोग रोकने के इरादे से सरकार 24 कैरट आभूषणों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का विचार कर रही है। जब सोने को एक निश्चित कीमत पर किसी को बेचा जाता है और बाद में उससे उसी कीमत पर उसे वापस खरीद लिया जाता है तो इसे राउंड ट्रिपिंग कहते हैं।
हालांकि भारत में 24 कैरट के आभूषण नहीं बनते, इतने शुद्घ सोने का इस्तेमाल सिक्कों और छड़ों में ही किया जाता है। दुनिया भर में चीन के अलावा कहीं और 24 कैरट के आभूषण नहीं चलते। कुछ खास निर्यात कंपनियां ही इनका निर्यात करती हैं और इनमें रिफाइनिंग तथा गढ़ाई के अलावा कोई भी मूल्यवर्धन नहीं किया जाता है।
इस तरह से तैयार किए गए गहनों को खाड़ी देशों में भेजा जाता है और वहां से सोने की शक्ल में वापस आयात कर लिया जाता है। ऐसी हरकत करने वाली कंपनियां मुट्ठी भर ही हैं। वे अपने निर्यात के आंकड़े बढ़ाने के लिए ऐसा करती हैं और निर्यात के लिए मिलने वाले सस्ते कर्ज का इस्तेमाल कर लेती हैं। इससे उनके दो मकसद पूरे हो जाते हैं।
अधिक निर्यात दिखाने से उनका निर्यातक का दर्जा बरकरार रहता है और निर्यात के लिए मिलने वाले सस्ते कर्ज का वे कहीं भी इस्तेमाल कर लेती हैं। किसी समय देश में सालाना 100 टन सोने की राउंड ट्रिपिंग का अनुमान लगाया जाता था। लेकिन वित्त मंत्रालय का ध्यान अब इस पर है और वह सख्ती बरत रहा है क्योंकि कंपनियां निर्यात के लिए मिले सस्ते कर्ज का इस्तेमाल दूसरे कामों में ही करती हैं।
जीएफएमएस थॉमसन रॉयटर्स द्वारा सोने को लेकर कराए गए एक सर्वेक्षण में कहा गया है, ‘वर्ष 2016 में शुल्क मुक्त सोने का आयात 15 प्रतिशत तक घटकर 167.3 टन रह गया, जबकि 2015 में यह 196.2 टन पर था। हमारे खयाल से 2016 में इसमें से 125 टन का इस्तेमाल राउंड ट्रिपिंग के लिए हुआ था।’ उद्योग की एक कंपनी ने कहा, ‘राउंड ट्रिपिंग में ज्यादातर 24 कैरट गहने आदि इस्तेमाल हुए क्योंकि उन्हें पिघलाना और गढ़ना आसान है।’
उद्योग सूत्रों का कहना है, ‘ऐसे सोने में मूल्यवर्धन बहुत कम होता है और उसकी खपत करने वाले देश भारत से आयात ही नहीं करते।’ उन्होंने कहा कि सरकार अगर प्रतिबंध लगाने का फैसला करती है तो असली निर्यातकों को किसी तरह की तकलीफ नहीं होगी। परिषद ने इसे लेकर चिंता जताई है कि निर्यात का आंकड़ा अनावश्यक रूप से बढ़ाकर दिखाया गया है