पॉलिथीन से पौधों को नष्ट होते देखा तो पर्यावरण संरक्षण में जुट गए ओम

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कोटा। पर्यावरण को जो सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहे हैं, उसी पॉलिथीन को हथियार बनाकर ओमप्रकाश सुमन न केवल पर्यावरण को बचा रहे हैं, बल्कि बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में पौधे लगाने की आदत डाल रहे हैं। वे घरों से निकलने वाली पॉलिथीन, डिस्पोजल कप, गिलास व प्लेटें लेते हैं और उसी में पौधे लगाकर बदले में लोगों को देते हैं।

पिछले 1 साल में उन्होंने सड़कों और नालियों में फेंकी जाने वाली 5 क्विंटल से अधिक पॉलीथिन वाले कचरे को रुकवाया और अपने पास जमा किया। इन पॉलीथिन में पौध तैयार किए और उन्हीं लोगों को पॉलिथीन के बदले अपने पास जमा की और बदले में पौधे दिए। अब तक वे 5 हजार से अधिक पौधे बांट चुके हैं। 50 वर्ष की उम्र पार चुके ओमप्रकाश सुमन ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं है, लेकिन वे सभ्य समाज से निकलने वाले कचरे का उपयोग करने में जुटे हैं।

बागवानी पहले उनकी आजीविका का साधन था, फिर उन्होंने इसे शौक बनाया। इसी बीच जब उन्होंने पार्कों में पॉलिथीन के कचरे से पौधों को नष्ट होते देखा तो फिर इसका ख्याल आया। उन्होंने नगर निगम से सहयोग मांगा। निगम ने पहले उन्हें दशहरा मेले में जगह उपलब्ध करवाई। जहां उन्होंने मेले में आने वाले लोगों से पॉलिथीन ली और बदले में लोगों को पौधे बांटे।

इसके बाद अब उन्होंने दशहरा मैदान में आयोजित हैंडीक्रॉफ्ट मेले में ये कार्य शुरू किया। यहां भी वे 10 पॉलिथीन पर एक पौधा, खाद और बीज दे रहे हैं। मेले में आने वाले लोग अपने घरों से पॉलिथीन, प्लास्टिक गिलास, डिस्पोजल कप व प्लेटें लेकर आ रहे हैं और बदले में फ्लावर्स, सब्जियों, नीम, पीपल, आम, अमरूद के पौधे लेकर जा रहे हैं। उनके स्टॉल में एक तरफ पौैधे और दूसरी तरफ पॉलीथिन के ढेर लगे हुए हैं।