जयपुर । प्रदेश में किसान कर्जमाफी के लिए सरकार ने 7 मंत्रियों और 6 अफसरों की भारी भरकम कमेटी बना दी है। इसके अलावा संविदा कर्मचारियों की मांगों पर सुनवाई करने के लिए, पिछली सरकार के आखिरी छह महीनों की फैसलों की समीक्षा के लिए और 26 जनवरी को राज्यपाल अभिभाषण के लिए तीन कैबिनेट कमेटियां और बनाई गई हैं।
इसमें किसान कर्जमाफी के लिए कोऑपरेटिव विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है। इसमें शांति धारीवाल, बीडी कल्ला, उदयलाल आंजना, परसादी लाल मीणा, रघु शर्मा, लालचंद कटारिया के अलावा सरकार के सलाहकार और पूर्व वित्त सचिव गोविंद शर्मा, सहकारी विभाग के प्रमुख सचिव अभय कुमार को शामिल किया गया है।
कर्जमाफी के लिए बनाई गई कमेटी को दो काम सौंपे गए हैं। पहला कर्जमाफी के लिए गाइडलाइन तय करना और दूसरा सरकार को यह बताना कि इसके लिए पैसा कहां से अाएगा। गाइडलाइन में यह तय किया जाएगा कि कर्जमाफी के लिए कौन किसान पात्र होंगे।
इसमें कोऑपरेटिव सेक्टर, भूमि विकास बैंक और स्टेट सेक्टर के बैंकों को शामिल किया गया है। पिछली सरकार ने आयकर देने वाले किसानों, सरकारी नौकरी कर रहे किसानों को कर्जमाफी के दायरे से बाहर रखा था। लेकिन अब कोऑपरेटिव के अलावा स्टेट सेक्टर के बैंक भी कर्जमाफी में शामिल किए गए हैं।
हालांकि कमेटी कितने दिनों में अपना काम पूरा करेगी इसके लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है। कमेटी अपनी रिपोर्ट कैबिनेट में रखेगी। इसके बाद सरकार कर्जमाफी लागू करेगी। इधर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को बयान दिया है कि कांग्रेस केंद्र सरकार पर यह दबाव बनाएगी कि वह देश भर में किसान कर्जमाफ करे।
हालांकि राज्य सरकार ने 10 दिनों में ही किसानों का कर्जमाफ करने का वादा किया था लेकिन 20 दिन बाद सरकार सिर्फ कमेटी ही बना सकी है। मामले से जुड़े अफसरों का कहना है कि सरकार एक साथ कर्जमाफी करने की स्थिति में नहीं है। चुनावों के नजदीक जाकर इसे लागू किया जाएगा ताकि इस वित्त वर्ष में उस पर कम से कम भार आए।