-मुकेश भाटिया
कमोडिटी एक्सपोर्ट
कोटा। धनिये की बिजाई कम होने के साथ-साथ पुराना स्टॉक काफी निकल जाने से इसमें तेजी का रूख बना हुआ है। उत्पादक मंडियों के कारोबारी ऊंचे भाव बोलने लगे हैं। मौसम भी फसल के अनुरूप नहीं है। इसे देखते हुए वर्तमान भाव नई फसल पर भी मिल पाना मुश्किल लग रहा है तथा भविष्य में 20 रुपए की तेजी लग रही है।
इस बार जलवायु परिवर्तन से धनिये की फसल पर सभी उत्पादक राज्यों में व्यापक प्रभाव पडा है। गुजरात में पानी की कमी के चलते बिजाई आधी रह जाने की खबर आ रही है।जबकि दूसरी ओर राजस्थान व एमपी में किसानों द्वारा गेँहू व सरसों की खेती को प्राथमिकता देने के चलते देश के कुल धनिया उत्पादन में 70 फ़ीसदी की हिस्सेदारी रखने वाले इन राज्यों के बिजाई रकवे में भी 35 फ़ीसदी तक की कमी आने की आशंका बन गयी है।
इसके अलावा वैश्विक बाज़ार में धनिया की कीमतें भी काफी तेज बोली जा रही है अतः ऐसी स्थिति में आयात करना लगभग मुश्किल ही रहेंगा, यही कारण है कि बाज़ार की मनोबृत्ति बदलने से नीचे वाले भाव पर मंडियों में बादामी माल लगातार पिसाई करने वाले लगातार खरीद रहे हैं। जबकि किसान व स्टाकिस्ट लगातार माल रोक रहें है। इससे तेजी की सुगबुगाहट को बल मिलने लगा है।
रामगंजमंडी, कोटा, भवानीमंडी एवं झालरापाटन मंडी में बादामी धनिया लूज में 56/57 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। यह दिल्ली आकर 71/72 रुपए पडेगी। जबकि, यहां बादाम माल के भाव 68 रुपए एवं ईगल के भाव 70/71 रुपए बोल रहे हैं। गौरतलब है कि उत्पादक क्षेत्रों में सर्दी कम पडने एवं ओस की बूंदे इस बार कम पडने से धनिये के पौधे की क्वालिटी अनुकूल नहीं है।
दूसरी ओर ग्रीन माल का स्टॉक कम होने से निर्यात में ऊंचे भाव बोलने लगे हैं। हालांकि अभी निर्यात मांग ठंडी पड़ी है और यह दिसम्बर के मध्य या जनवरी के शुरुआत में ही प्रारंभ होंगी।
हालांकि अभी तक वायदे में अपेक्षित तेजी स्टॉक का प्रैशर बना रहने से नहीं दिख रही है , लेकिन दिसम्बर व जनवरी महीने की डिलीवरी कम लगने से उसमें भी बाजार रूक-रूककर छलांग लगाने लगे हैं।
आंध्र व तेलंगाना में भी धनिये की बोवनी नही के समान हुई है पिछले ढाई-तीन वर्ष में धनिया उत्पादक व स्टाकिस्टों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है जिससे किसानों का धनिया की बोवनी के प्रति रुझान घटा है। वर्तमान में धनिये की बेचवाली के मुकाबले खपत अधिक दिखाई दे रही है।
वर्तमान की बोई हुई फसल को देखते हुए 55 से 58 लाख बोरी के बीच नई फसल आने की उम्मीद है तथा नये माल आने पर 38/40 लाख बोरी का पुराना स्टॉक बचने की संभावना है। इस तरह आगे चलकर कुल उपलब्धि कम होने की स्थिति में नई फसल से पहले एक बार 15/20 रुपए किलो की तेजी के आसार दिखाई दे रहे हैं।