आवक घटने से तिल तेजी के नये शिखर छूने की तैयारी में

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मुकेश भाटिया
कोटा ।
तिल की फसल पूरी तरह फेल हो जाने से उत्पादक व वितरक वाली मंडियों में दूर-दूर तक कोई बेचवाल नजर नहीं आ रहा है तथा आवक टूटकर केवल 18/20 फ़ीसदी रह गयी है। इसे देखते हुए भविष्य में तेजी के कुछ भी भाव बन सकते हैं।

तिल का उत्पादन मुश्किल से इस बार बड़ी मुश्किल से ढाई लाख टन के आकड़े के करीब पहुँचने के अनुमान आ रहें है। हालांकि बिगत दो वर्षो से लगातार उत्पादन आंकड़ो में 30-35 फ़ीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की जा रही हैं, लेकिन नाइजीरिया, सूडान एवं अन्य अफ्रीकन देशों से होने वाले सस्ते आयात के चलते बाज़ारों में अपेक्षित तेजी नहीं आ रही थी।

इस बार अफ्रीकन देशों में तिल का उत्पादन कम हुआ है। नाइजीरिया एवं सूडान में भी ऊंचे भाव होने से पडते नहीं है तथा ऊंचे भाव पर अफ्रीकन देशों के लगभग 40/45 उत्पादन के खड़ी फ़सल पर सौदे होने भी खबरें आ रही हैं।

दूसरी और घरेलू उत्पादन के 10.50/11 लाख टन सामान्य उत्पादन के मुकाबले लगातार घटते हुए वर्तमान में दो-ढाई लाख टन मुश्किल से रह जाने का अनुमान आ रहा है। यही कारण है कि छतरपुर-नौगांव लाइन में 85ः15 माल के भाव 122/123 रुपए किलो हो गये हैं।

गत वर्ष समान अवधि की तुलना में भाव लगभग दोगुना हो चुके हैं। इधर ग्वालियर में हलिंग क्वालिटी का माल ऊपर में 98ः2 का 141/142 रुपए स्तर देख आया हैं। मंडियों में आवक पूरी तरह टूट जाने से इन भाव में भी माल नहीं मिल रहा है।

इन हालातों को देखते हुए हलिंग का माल ग्वालियर लाइन में इस बार 185/190 रुपए भी बन जाना कोई बड़ी बात नहीं है। इधर कानपुर, लखनऊ के साथ-साथ बिहार की भी अच्छी मांग मकर संक्रान्ति के लिए अभी से निकलने लगी है।

मुजफ्फरनगर व मेरठ लाइन में जो 170/175 रुपए किलो बोली थी, उसके भाव धुले सफेद माल के 220/225 रुपए बोलने लगे हैं तथा पीछे से माल मंगवाने पर 240 रुपए का पडता आ रहा है। इसे देखते आगे हुए चौतरफा मांग निकलने की उम्मीद को देखते हुए बाजार तेज रहने कर पूरे आसार बन गए है।