नई दिल्ली। दिल्ली की उपभोक्ता अदालत ने फैसला देते हुए आईआईटी-इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा के लिए कोचिंग देने वाले संस्थान फिट्जी से कहा कि वह 15 दिन क्लास करने के बाद कोचिंग छोड़ने वाले छात्र को उसकी शेष फीस वापस करें।
अदालत ने आदेश दिया कि यदि ‘प्रवेश कोचिंग संस्थानों’ की पढ़ाई से छात्र संतुष्ट नहीं होते हैं तो वे फीस वापस मांग सकते हैं। आदेश के तहत छात्र को 50 हजार रुपये लौटा 10 हजार रुपये मानसिक प्रताड़ना के एवज में अदा करना होगा। साथ ही 50,000 रुपये की इस रकम उसे छह फीसदी वार्षिक की दर से ब्याज का भुगतान करे।
फिट्जी के वकील मुकेश गोयल ने कहा कि इस फैसले के खिलाफ वह राज्य आयोग में अपील दायर करेंगे। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले हैं, जिन्हें उपभोक्ता अदालत ने नजरअंदाज किया है। इनमें कोर्स बीच में छोड़ने वाले छात्रों की फीस जब्त करना उचित ठहराया गया है।
खुशाल कोलवर ने फिट्जी की प्रवेश परीक्षा में पास होकर कोचिंग के लिए 2009 में दाखिला लिया था। इसके लिए उसने पूरे कोर्स के लिए 87,000 फीस भरी। लेकिन 15 दिन बाद उसने कोचिंग छोड़ दी और कहा कि वह पढ़ाई से संतुष्ट नहीं है। उसने संस्थान से फीस वापस मांगी लेकिन संस्थान ने कोई जवाब नहीं दिया और बाद में उसे कोर्स जारी रखने के लिए कहा। उसने 2010 में संस्थान की शिकायत उपभोक्ता अदालत में की।